Bihar Voter ID Fraud: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले हो रहे वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर मुद्दा गर्म है।
बीते दिनों विपक्ष ने चुनाव आयोग के फैसले के विरोध में बिहार बंद रखा और आज मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी हुई।
इन सब के बीच मधेपुरा जिले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है।
जिसने पूरे चुनावी सिस्टम की पारदर्शिता और गंभीरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
वोटर ID में अभिलाषा की जगह नीतीश कुमार
जयपालपट्टी मोहल्ले की रहने वाली एक महिला अभिलाषा कुमारी को जब नया वोटर आईडी कार्ड मिला, तो उसके अंदर की तस्वीर देखकर सभी चौंक गए।
दरअसल, वोटर ID पर नाम तो अभिलाषा कुमारी का ही लिखा है।
लेकिन कार्ड में महिला की जगह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की फोटो छपी हुई है।
यह मामला बिहार बंद के दौरान सार्वजनिक हुआ।
इस लापरवाही को उजागर करने वाले और कोई नहीं बल्कि इसी महिला के पति चंदन कुमार है।
सत्ता की गोद में बैठने के साइड इफ़ेक्ट्स देखिए —
जो चुनाव आयोग किसी महिला की जगह नीतीश कुमार की तस्वीर मतदाता पहचान पत्र पर छाप सकता है, उस पर कितना भरोसा किया जा सकता है?
सोचिए, क्या ये लोग 16 दिन में 8 करोड़ मतदाताओं की वोटर लिस्ट बना सकते हैं ? pic.twitter.com/d5KYfQskAr
— Bihar Congress (@INCBihar) July 9, 2025
पत्नी किसे समझूं, मुख्यमंत्री या अभिलाषा को
चंदन ने बताया कि करीब ढाई महीने पहले उन्हें डाक से पत्नी का वोटर कार्ड मिला था।
लिफाफे पर नाम, पता और बाकी विवरण बिल्कुल सही था।
लेकिन जब उन्होंने कार्ड खोलकर देखा, तो उसमें पत्नी की जगह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की फोटो थी।
यह देखकर वह खुद हैरान रह गए और इसे सार्वजनिक करने का निर्णय लिया।
चंदन ने तंज कसते हुए कहा, अब आप ही बताइए, मैं अपनी पत्नी किसे समझूं – अभिलाषा को या नीतीश कुमार को?
BLO ने कहा- ये बात किसी को न बताएं
चंदन कुमार ने बताया कि जब उन्होंने यह मामला लेकर स्थानीय BLO (ब्लॉक लेवल ऑफिसर) के पास गए तो उन्हें इस पर कार्रवाई करने की बजाय यह सलाह दी गई कि, आप यह बात किसी को मत बताइए।
BLO का इस तरह चुप्पी की सलाह देना और मामले को छिपाने की कोशिश करना, पूरे सिस्टम पर गंभीर सवाल उठाता है।
चंदन ने इसे एक सामान्य गलती मानने से इनकार करते हुए कहा कि जब एक आम महिला के कार्ड पर सीएम की फोटो छप सकती है, तो यह सिर्फ टेक्निकल इरर नहीं, बल्कि सिस्टम की बड़ी नाकामी है।
क्या केवल एक गलती? या सिस्टम की गड़बड़ी?
इस पूरे मामले में यह सवाल अब गंभीरता से पूछा जा रहा है कि क्या यह सिर्फ एक गलती है या चुनाव आयोग की प्रणाली में कोई गहरी सिस्टमेटिक खामी छिपी हुई है।
आमतौर पर वोटर कार्ड में गलत फोटो किसी अंजान व्यक्ति की लग जाना समझ में आता है।
लेकिन, एक राज्य के मुख्यमंत्री की फोटो किसी और के पहचान पत्र पर छप जाना सिर्फ संयोग नहीं हो सकता।
इधर मामले पर जब उप निर्वाचन पदाधिकारी जितेंद्र कुमार ने कहा कि वोटर पहचान पत्रों की प्रिंटिंग का कार्य कर्नाटक में होता है।
अगर ऐसी कोई गलती होती है तो व्यक्ति फॉर्म-8 भरकर SDO कार्यालय या ऑनलाइन आवेदन देकर सुधार करवा सकता है।
हालांकि, स्थानीय लोगों और चंदन कुमार को यह सफाई संतोषजनक नहीं लग रही है।
उच्चस्तरीय जांच की मांग, लोकतंत्र की नींव पर सवाल
चंदन कुमार ने इस मामले को चुनाव आयोग की असंवेदनशीलता बताते हुए कहा कि यह सिर्फ एक तकनीकी गलती नहीं, बल्कि जनता के अधिकारों और पहचान से जुड़ा गंभीर मामला है।
उनका कहना है कि सिर्फ सुधार का विकल्प देना गंभीर गलती पर पर्दा डालना है, जबकि इस मामले में उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।
उन्होंने मांग की कि इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष और विस्तृत जांच कराई जाए, ताकि पता चल सके कि कहीं और भी इस तरह की गड़बड़ियां तो नहीं हो रही हैं।
बहरहाल, इस घटना के बाद लोग लोकतांत्रिक संस्थानों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं।
अगर एक मुख्यमंत्री की फोटो गलती से किसी के कार्ड पर छप सकती है, तो क्या कोई जालसाजी, फर्ज़ीवाड़ा या डेटा से छेड़छाड़ भी संभव है?
इससे मतदाता सूची की विश्वसनीयता और पहचान की सुरक्षा दोनों पर खतरा मंडराता दिख रहा है।
वोटर आईडी केवल एक कार्ड नहीं होता, बल्कि यह मतदान का अधिकार है।
अगर उसमें लापरवाही बरती जाए, तो यह सीधे तौर पर लोकतंत्र की नींव को कमजोर करता है।
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