Chirag Paswan

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केंद्रीय मंत्री का NDA से मोह भंग! जानें चिराग ने क्यों कहा मैं केंद्र की राजनीति में नहीं रहना चाहता?

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Chirag Paswan: केंद्र सरकार में मंत्री चिराग पासवान ने हाल ही में एक ऐसा बयान दिया है, जिसने सियासी हलचल मचा दी है।

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा है कि वह केंद्र की राजनीति में नहीं रहना चाहता हैं।

उनके इस बयान के बाद सवाल उठ रहे है कि क्या चिराग पासवान का NDA से मोह भंग हो गया है?

आखिर ऐसी क्या वजह है कि वह केंद्र की राजनीति से दूर होना चाहते हैं।

चिराग की केंद्र की राजनीति से दूरी की ये है वजह

केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान ने कहा है कि मैं ज्यादा समय तक केंद्र में नहीं रह सकता।

चिराग पासवान का यह बयान उस समय आया है, जब बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं।

सभी राजनीतिक दल अपने-अपने समीकरण साधने में लगे हैं और ऐसे में चिराग पासवान के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं।

दरअसल, चिराग पासवान का केंद्र की राजनीति से दूर जाने का कारण उनका बिहार से लगाव है

उन्होंने कहा है कि मेरा प्रदेश मुझे बुला रहा है। मेरी राजनीति की नींव ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ पर टिकी हुई है। मेरे पिता स्वर्गीय रामविलास पासवान केंद्र की राजनीति में ज्यादा सक्रिय थे, लेकिन मेरी प्राथमिकता बिहार है।

हालांकि, चिराग ने यह भी साफ किया कि वे 2025 के विधानसभा चुनाव में खुद उम्मीदवार नहीं होंगे, लेकिन 2030 से पहले बिहार की राजनीति में पूरी तरह सक्रिय हो जाएंगे।

बीजेपी का स्पोर्ट लेकिन पारस गुट में नाराजगी

चिराग पासवान के बयान पर बीजेपी ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है।

पार्टी प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हनुमान के रूप में चर्चित चिराग पासवान का बिहार की राजनीति में सक्रिय होना स्वागत योग्य कदम है। वे अपने पिता रामविलास पासवान की तरह ही दलित समाज की आवाज़ को मजबूती से उठा रहे हैं।

वहीं पारस गुट के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने चिराग के बयान पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, चिराग का यह कहना कि उनके पिताजी केंद्र की राजनीति में ज्यादा सक्रिय थे, बिहार की राजनीति में नहीं। हमारे नेता रामविलास पासवान का अपमान है।

CM बनने के हसीन सपने देख रहे चिराग

चिराग पासवान के बयान के बाद तो ये सवाल भी उठने लगा है कि क्या वह आने वाले सालों में खुद को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में तैयार कर रहे हैं?

फिलहाल, उनके बयान पर विपक्षी दलों ने पलटवार किया है। लालू की पार्टी ने इसे भाजपा की साजिश बताया है।

RJD प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि बीजेपी नीतीश कुमार और जेडीयू को किनारे करने के लिए चिराग पासवान को आगे कर रही है।

बीजेपी नीतीश कुमार के साथ 2020 वाला खेल दोहराने वाली है, जेडीयू को चौथे नंबर की पार्टी बनाना और चिराग सीएम बनने के लिए मुंगेरी लाल के हसीन सपने देख रहे है।

बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्टअभियान की वापसी

हालांकि चिराग पासवान के बयान से उनके 2013 में शुरू किए गए ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ अभियान की भी याद ताजा हो गई है।

इस अभियान का उद्देश्य बिहार को विकास के पथ पर अग्रसर करना और राज्य के युवाओं को रोज़गार, शिक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रेरित करना था।

2020 के चुनाव में भी उन्होंने इसी नारे के तहत चुनाव लड़ा था और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जमकर आलोचना की थी।

दलित वोट बैंक और नीतीश टारगेट

बीजेपी को लगता है कि चिराग की बिहार में सक्रियता से एनडीए को दलित समुदाय का व्यापक समर्थन मिलेगा

रामविलास पासवान ने भी अपने राजनीतिक करियर में दलितों के बीच एक मजबूत पकड़ बनाई थी।

चिराग उसी विरासत को आगे बढ़ाते हुए एनडीए के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं।

वहीं राजनीतिक जानकार मानते हैं कि चिराग पासवान का यह बयान केवल एक व्यक्तिगत निर्णय नहीं, बल्कि एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है।

साल 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग ने जेडीयू और नीतीश कुमार के खिलाफ कई सीटों पर उम्मीदवार खड़े कर उन्हें कमजोर किया था।

अब 2025 में भी अगर यही स्थिति बनती है तो यह एक बार फिर जेडीयू के लिए खतरे की घंटी हो सकती है।

बहरहाल, चिराग पासवान ये तो साफ कर दिया कि उनका झुकाव केंद्र से ज्यादा बिहार की राजनीति की तरफ है।

अब इसका असर बिहार विधानसभा चुनाव 2025 पर कितना पड़ेगा ये देखना दिलचस्प होगा।

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