National Herald Case

National Herald Case

नेशनल हेराल्ड केस का A to Z… जानिए कैसे फंसे सोनिया गांधी और राहुल गांधी?

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National Herald Case: नेशनल हेराल्ड केस भारतीय राजनीति में सबसे चर्चित और विवादित मामलों में से एक है।

इस मामले में देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी पर गंभीर आरोप लगे हैं।

यह मामला भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत से उजागर हुआ था, जिसकी जांच अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) कर रही है।

ED ने मंगलवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सोनिया-राहुल, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है।

जिसके विरोध में देशभर में कांग्रेस पार्टी ने ईडी दफ्तरों के बाहर प्रदर्शन किया

देश में मचे इस सियासी बवाल को देख आपके मन में जरुर ये सवाल आया होगा कि सोनिया और राहुल इस केस में कैस फंस गए?

इस सवाल का जवाब जानने से पहले आपका ये जानना जरूरी है कि आखिर नेशनल हेराल्ड केस है क्या?

जानें क्या है नेशनल हेराल्ड?

दरअसल, नेशनल हेराल्ड एक अंग्रेजी अखबार था, जिसकी स्थापना पंडित जवाहरलाल नेहरू और उनके सहयोगी स्वतंत्रता सेनानियों ने की थी।

इसकी ओनरशिप एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) के पास था, जो नवजीवन (हिंदी) और कौमी आवाज (उर्दू) जैसे अखबार भी निकालते थे।

यह अखबार 2008 तक सक्रिय रहा, लेकिन फिर पैसों की तंगी के कारण इसका प्रकाशन बंद कर दिया गया।

नेशनल हेराल्ड केस की टाइमलाइन

  • 1938: पं. नेहरू द्वारा नेशनल हेराल्ड की स्थापना
  • 2008-2010: AJL पर आर्थिक संकट, अखबार बंद
  • 2010: यंग इंडियन लिमिटेड कंपनी का गठन
  • 2012: सुब्रमण्यम स्वामी की कोर्ट में याचिका
  • 2014: कोर्ट द्वारा सोनिया, राहुल समेत 6 नेताओं को समन
  • 2015: सभी आरोपियों को पटियाला कोर्ट से जमानत
  • 2016: सुप्रीम कोर्ट से व्यक्तिगत हाजिरी से छूट, लेकिन कार्यवाही जारी
  • 2018: केंद्र सरकार ने AJL को आवंटित हेराल्ड हाउस की लीज समाप्त की
  • 2019: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर AJL के खिलाफ कार्यवाही पर रोक
  • 2021: ईडी ने जांच शुरू की
  • 2022: सोनिया और राहुल से लंबी पूछताछ
  • 2023: AJL की अचल संपत्तियों और शेयरों की कुर्की
  • 2025: अप्रैल में कोर्ट ने सुनवाई शुरू की, 661 करोड़ की संपत्तियों पर ईडी का कब्जा

AJL पर कर्ज और यंग इंडियन का गठन

2008 तक AJL पर करीब 90 करोड़ रुपये का कर्ज हो गया था, जो कांग्रेस पार्टी ने 2002 से 2011 के बीच ऋण के रूप में दिया था।

इसके बाद 2010 में ‘यंग इंडियन लिमिटेड’ (YIL) नाम की एक गैर-लाभकारी कंपनी बनाई गई।

इस कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 76% हिस्सेदारी थी, जबकि बाकी 24% हिस्सेदारी मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे के पास थी।

यंग इंडियन ने केवल 50 लाख रुपये में AJL के 90 करोड़ रुपये के कर्ज का अधिग्रहण कर लिया और उसके बदले AJL की 99% हिस्सेदारी हासिल कर ली।

इसी सौदे के आधार पर आरोप लगाए गए कि कांग्रेस नेताओं ने जानबूझकर साजिश के तहत 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों पर कब्जा किया।

ईडी की जांच और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप

प्रवर्तन निदेशालय (ED) का कहना है कि इस अधिग्रहण की प्रक्रिया मनी लॉन्ड्रिंग का उदाहरण है।

ईडी ने दावा किया है कि इससे 988 करोड़ रुपये की ‘अपराध से अर्जित आय’ पैदा हुई।

साथ ही, AJL के पास जो अचल संपत्तियां थीं, उनका बाजार मूल्य लगभग 5,000 करोड़ रुपये आंका गया है।

2023 में ED ने दिल्ली के हेराल्ड हाउस (बहादुर शाह ज़फर मार्ग), मुंबई के बांद्रा और लखनऊ के AJL भवनों सहित कई संपत्तियों को जब्त किया।

नवंबर 2023 में AJL के 90.2 करोड़ रुपये के शेयर भी कुर्क किए गए थे।

अप्रैल 2025 में ED ने इन संपत्तियों पर कब्जा करने के लिए नोटिस चिपकाए और 661 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति को जब्त करने की कार्रवाई की।

कोर्ट की स्थिति और वर्तमान कानूनी प्रक्रिया

अप्रैल 2025 में राउज एवेन्यू कोर्ट में स्पेशल जज (पीसी एक्ट) विशाल गोगने ने PMLA (धन शोधन निवारण अधिनियम) की धारा 3 और 70 के तहत ED द्वारा दायर की गई शिकायत की सुनवाई की।

उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह मामला PMLA की धारा 4 के तहत दंडनीय है।

कोर्ट ने ईडी से केस डायरी मांगी है और अगली सुनवाई की तारीख 25 अप्रैल 2025 निर्धारित की गई है।

अभी तक कोर्ट ने चार्जशीट पर औपचारिक रूप से संज्ञान नहीं लिया है।

अगर संज्ञान लिया जाता है, तो आरोपी पक्ष को विधिवत रूप से आरोपी घोषित किया जाएगा और मुकदमे की सुनवाई शुरू होगी।

सुब्रमण्यम की याचिका से मामला हुआ उजागर

यह पूरा मामला 2012 में भाजपा नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में दायर याचिका से शुरू हुआ।

उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी ने धोखाधड़ी के माध्यम से ‘यंग इंडियन लिमिटेड’ कंपनी बनाई ताकि 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को महज 50 लाख रुपये में हड़पा जा सके।

उनका दावा था कि यह साजिश सिर्फ दिल्ली के बहादुर शाह ज़फर मार्ग स्थित ‘हेराल्ड हाउस’ पर कब्जा करने के लिए रची गई थी।

बता दें इस मामले में जून 2022 में राहुल गांधी से 5 दिनों में लगभग 50 घंटे पूछताछ हुई थी, जबकि सोनिया गांधी से जुलाई 2022 में 3 दिनों में करीब 12 घंटे पूछताछ की गई थी, इस दौरान दोनों से 100 से अधिक सवाल पूछे गए थे।

फिलहाल, नेशनल हेराल्ड केस एक अखबार या कंपनी के अधिग्रहण से जुड़ा मामला नहीं रह गया है, यह भारत की राजनीति, न्यायपालिका और आर्थिक अपराध जांच प्रणाली के कई पहलुओं को उजागर करता है।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत इस मामले में क्या रुख अपनाती है और क्या कांग्रेस नेतृत्व पर लगे गंभीर आरोप कानूनी कसौटी पर खरे उतरते हैं।

इस मामले की अगली सुनवाई 25 अप्रैल 2025 को होनी है, जो भविष्य की दिशा तय करने में निर्णायक हो सकती है।

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