BSF Soldier in Pak Custody

BSF Soldier in Pak Custody

पहलगाम हमले के बाद भारत-पाक के बीच बढ़ा तनाव, 48 घंटे से पाक सेना के कब्जे में BSF जवान

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BSF Soldier in Pak Custody: भारत-पाकिस्तान सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान पीके साहू को पाकिस्तानी रेंजर्स द्वारा पकड़े जाने के 48 घंटे बाद भी अब तक रिहा नहीं किया गया है।

यह घटना पंजाब के फिरोजपुर जिले के ममदोट सेक्टर की है, जहां बुधवार को गलती से जीरो लाइन पार कर जाने पर पाकिस्तानी रेंजर्स ने जवान को हिरासत में ले लिया था।

इस मुद्दे पर अब तक भारत और पाकिस्तान के बीच तीन फ्लैग मीटिंग हो चुकी हैं, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला है।

इस घटना ने एक ओर जहां सीमा पर तैनात सुरक्षा बलों की सतर्कता को लेकर सवाल खड़े किए हैं, वहीं जवान के परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है।

जवान की पत्नी रजनी साहू और भाई श्यामसुंदर साहू ने केंद्र सरकार और BSF अधिकारियों से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है, ताकि पीके साहू को सुरक्षित और शीघ्र भारत वापस लाया जा सके।

गलती से लांघी सीमा, आंखों में पट्‌टी बांधकर फोटो जारी

जानकारी के अनुसार 24वीं बटालियन के जवान पीके साहू हाल ही में श्रीनगर से ट्रांसफर होकर पंजाब के ममदोट सेक्टर में तैनात किए गए थे।

बुधवार सुबह जब किसान गेहूं काटने के लिए फेंसिंग के पास स्थित खेतों में पहुंचे, तब BSF की तरफ से दो जवानों को सुरक्षा के लिए तैनात किया गया।

इसी दौरान साहू गलती से बॉर्डर पर लगी जीरो लाइन को पार कर गए। जैसे ही साहू ने यह रेखा पार की, पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें पकड़ लिया।

उन्होंने साहू की AK-47 राइफल और अन्य सामान जब्त कर लिया। इसके बाद उनकी आंखों पर पट्टी बांधकर उन्हें हिरासत में ले लिया गया।

पाकिस्तानी सेना ने बाद में साहू की तस्वीरें भी पाकिस्तानी मीडिया को जारी कीं, जिसमें वे एक वाहन के पास खड़े नजर आ रहे हैं और उनके पास उनकी राइफल और पानी की बोतल जमीन पर रखी हुई है।

पाकिस्तान द्वारा जवान की तस्वीर जारी करना भी विवाद का कारण बन गया है। इस तस्वीर को भारत में अपमानजनक और अंतरराष्ट्रीय मानकों के खिलाफ माना जा रहा है।

इसे युद्ध बंदियों और हिरासत में लिए गए सैनिकों के साथ मानवीय व्यवहार के खिलाफ बताया जा रहा है।

भारत और पाक के बीच तनाव की वजह से रिहाई में देरी

घटना की जानकारी मिलते ही BSF के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे और पाकिस्तानी रेंजर्स के साथ संपर्क साधा।

सूत्रों के अनुसार, यह बताया गया कि जवान हाल ही में तैनात हुए थे और उन्हें जीरो लाइन के बारे में पूरी जानकारी नहीं थी।

इसके बावजूद पाकिस्तानी पक्ष ने उन्हें लौटाने से इनकार कर दिया। अब तक इस मुद्दे पर तीन फ्लैग मीटिंग्स हो चुकी हैं, लेकिन पाकिस्तान अपनी जिद पर अड़ा हुआ है।

अधिकारियों का मानना है कि हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव की वजह से रिहाई में देरी हो रही है।

पीके साहू की पत्नी रजनी साहू और उनके भाई श्यामसुंदर साहू का कहना है कि उन्हें साहू के पकड़े जाने की खबर एक सहकर्मी से मिली।

रजनी ने बताया, “मैंने आखिरी बार मंगलवार रात को साहू से बात की थी। अब कोई खबर नहीं है। हम बहुत डरे हुए हैं। बस चाहते हैं कि वे सुरक्षित वापस लौटें।”

साहू का सात साल का एक बेटा भी है। परिवार का कहना है कि साहू 31 मार्च को छुट्टी बिताने के बाद ड्यूटी पर लौटे थे। 17 साल से BSF में सेवा दे रहे साहू को लेकर पूरा परिवार चिंतित है।

जीरो लाइन: क्यों है यह इतना संवेदनशील क्षेत्र?

भारत और पाकिस्तान के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा पर एक ‘जीरो लाइन’ होती है जो दोनों देशों के बीच की वास्तविक सीमा रेखा होती है।

इस क्षेत्र में किसानों को सीमित समय और निगरानी में खेती की अनुमति होती है।

ऐसे समय पर BSF जवानों को ‘किसान गार्ड’ के रूप में तैनात किया जाता है, ताकि किसानों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

इस क्षेत्र में एक कदम भी इधर-उधर हुआ तो वह अंतरराष्ट्रीय सीमा उल्लंघन माना जाता है।

सामान्य परिस्थितियों में अगर कोई सैनिक गलती से सीमा पार कर जाता है, तो फ्लैग मीटिंग के जरिए 24 घंटे के भीतर उसे लौटा दिया जाता है।

लेकिन इस बार पाकिस्तान की ओर से असहयोग का रवैया सामने आ रहा है।

वहीं, जवान पीके साहू के परिजन भारत सरकार से मांग कर रहे है वह पाकिस्तान पर दबाव बनाकर जवान की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करे।

 

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