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यशोदा श्रीवास्तव
बीआर आई(बेल्ट एंड रोड इंशिएटिव)मामले में ओली ने सरकार में अपने सहयोगी नेपाली कांग्रेस की राय के इतर चीन से समझौता कर लिया। लेकिन किन किन बिंदुओं पर समझौता हुआ इसका खुलासा अभी बाकी है। इस बीच चार दिवसीय चीन की यात्रा से वापस आए प्रधानमंत्री ओली ने नेपाल मीडिया से कहा कि बीआरआई समझौता नेपाल के हितों को ध्यान में रखकर किया गया है। वहीं ओली सरकार के प्रमुख सहयोगी नेपाली कांग्रेस का मानना है कि यह समझौता उसके ग्रांट फार्मूले के इतर हुआ है जिसमें हमें देखना होगा की चीन के नेपाल को अनुदान और लोन का प्रतिशत क्या है? इस बीच नेपाली कांग्रेस को भारत की हठ वादिता अच्छा नहीं लगा क्योंकि ओली को भारत आने का निमंत्रण नहीं दिया। ओली चीन यात्रा के पहले भारत की यात्रा पर जाने को इच्छुक थे। चीन यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ओली और उनके चीनी समकक्ष की उपस्थिति में नेपाल और चीन के बीच विभिन्न समझौतों पर हस्ताक्षर हुए।
बीआरआई समझौता नेपाल का चीन के और करीब होने की दृष्टि से देखा जा रहा है। ओली सरकार के सहयोगी दल नेपाली कांग्रेस इस समझौते से असहमति के बावजूद ऐसा नहीं मानता।भारत में नेपाल के राजदूत रहे नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दीप कुमार उपाध्याय साफ तौर पर कहते हैं कि भारत को यह सोचना चाहिए था कि हमारे उसके रिश्ते चीन से भिन्न है। चीन से हमारा रोटी बेटी का रिश्ता नहीं है जबकि भारत से है। उन्होंने यह भी कहा कि चीन के बीआरआई परियोजना का हिस्सा बनने से हमारे परहेज के पीछे भारत ही है क्योंकि हम उससे हर हाल में मधुर संबंध के पक्षधर हैं। उन्होंने कहा कि भारत से बुलावा न मिलने पर ही ओली को चीन की यात्रा पर जाना पड़ा। वे कहते हैं कि बीआरआई समझौता निश्चय ही नेपाली कांग्रेस की मंशा के विपरीत हुआ लेकिन हमें अपनी जरूरतों के लिए कुछ तो करना ही था। लेकिन बीआरआई समझौता यदि लोन की शर्त पर हुआ तो नेपाल को विदेशी कर्ज के बोझ से उबर पाना मुश्किल है। क्योंकि नेपाल पहले ही अंतर्राष्ट्रीय कर्ज से दबा हुआ है।
नेपाल ने अब तक 17 अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से कर्ज़ लिया है लेकिन इसका सार्थक उपयोग नहीं हो सका जिसकी वजह नेपाल में स्थिर सरकार का न हो पाना रहा है। सार्वजनिक ऋण प्रबंधन कार्यालय के अनुसार विदेशों से लिया गया नेपाल का कुल कर्ज़ 25 खरब 23 अरब रुपये है, जो देश की कुल जीडीपी का 44% है। इसमें घरेलू कर्ज़ का हिस्सा 21.68% और बाहरी कर्ज़ का हिस्सा 22.56% है। इस तरह देखें तो हर नेपाली नागरिक पर पर औसतन 86,510 रुपये का कर्ज़ है। नेपाल का सबसे बड़ा कर्ज़दाता वर्ल्ड बैंक है, जिसका हिस्सा 48.86% है। इसके बाद एशियन डेवलपमेंट बैंक का हिस्सा 32.40% है।
चीन यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ओली और उनके चीनी समकक्ष की उपस्थिति में नेपाल और चीन के बीच विभिन्न समझौतों पर हस्ताक्षर हुए जिसमें व्यापार वृद्धि भी शामिल हैं। नेपाल में उत्पादित जड़ी बूटियों का बड़ा खरीदार भारत ही है। उसके बाद बंग्ला देश का नंबर आता है। ओली का इस व्यापारिक प्रतिस्पर्धा में चीन को निमंत्रित करने का असर नेपाल और भारत के व्यापारिक संबंधों पर पड़ना लाजिमी है।
ओली और चीन के बीच विकास परियोजनाओं, आर्थिक और तकनीकी सहयोग, तथा नकद सहायता से संबंधित समझौतों पर हस्ताक्षर तो ठीक है लेकिन चीनी भाषा शिक्षकों से संबंधित समझौता और नेपाल टेलीविजन व चाइना मीडिया ग्रुप के बीच संचार प्रौद्योगिकी से संबंधित समझौता भारत के लिए चिंता का विषय होना चाहिए। नेपाल जो मुख्यत:भारतीय पर्यटकों पर निर्भर रहता है, अब 2025 तक चीन से अधिक पर्यटकों को नेपाल लाने पर भी दोनों देशों के बीच बातचीत हुई।
बीआरआई परियोजना समझौते पर हस्ताक्षर करने से नेपाल में चीन का प्रभाव बढ़ेगा। चीन ने बीआरआई समझौते में पूर्व में जो मसौदा दिया था उसमें “ग्रांट फाइनेंशियल” का जिक्र था लेकिन चीन और नेपाल के बीच अब जिस समझौता मसौदे पर हस्ताक्षर हुआ है उसमें “एड फाइनेंशियल” परिवर्तित किया गया है। जाहिर है इस समझौते से चीन नेपाल पर आर्थिक बोझ डालना चाहेगा ताकि नेपाल की उस पर निर्भरता बनी रहे। फिलहाल नेपाल का चीन से चाहे बीआरआई समझौता हो अथवा चीनी पर्यटकों की आमदरफ्त बढ़ाने की कोशिश,यह साबित करता कि भारत विरोधी छवि वाले ओली भारत की अपेक्षा चीन के ही नजदीक रहना ज्यादा पसंद करते हैं।
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