MP Minister Tulsiram Silawat

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मंत्री तुलसीराम सिलावट अपने ही अखाड़े में चारों खाने चित, जमानत भी जब्त

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MP Minister Tulsiram Silawat: सांवेर विधानसभा के एक वार्ड में हुए उपचुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा।

कांग्रेस से आयातित मंत्री तुलसी सिलावट की पूरी मौजूदगी और प्रयासों के बावजूद पार्टी की ज़मानत तक जब्त हो गई।

नतीजा ये रहा कि भाजपा के कोर हिंदू वोटर्स में भी सेंध लग गई और कांग्रेस प्रत्याशी ने बड़ी जीत दर्ज की।

अपने ही अखाड़े में चित हुए ‘पहलवान’

इस चुनाव में मंत्री सिलावट का राजनीतिक ‘अखाड़ा’ ही उनके लिए भारी पड़ गया। जहां उन्हें अपनी पकड़ और प्रभाव दिखाना था, वहीं से भाजपा की दुर्गति हो गई।

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक़, मंत्री ने पूरी ताकत नहीं झोंकी और नतीजा यह हुआ कि भाजपा उम्मीदवार मांगीलाल सिर्फ 117 वोट ही जुटा सके, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी हसीना मंजर मस्तान को 913 वोट मिले।

14 वोट नोटा को गए। कुल 1030 वोटिंग हुई और भाजपा की ज़मानत तक जब्त हो गई।

सिर्फ मुस्लिम ही नहीं, हिंदू वोट भी छिटक गए

वार्ड भले ही मुस्लिम बहुल हो, पर यहां 250 से ज़्यादा हिंदू वोटर भी हैं।

भाजपा को उम्मीद थी कि कम से कम हिंदू वोटर पार्टी के साथ खड़े रहेंगे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ।

पिछली बार यहां भाजपा को 370 वोट मिले थे, जिनमें कुछ मुस्लिम वोट भी शामिल थे।

मगर इस बार न मुस्लिम वोट मिला, न हिंदू वोट पूरी तरह साथ आया।

यदि सिर्फ 225 हिंदू वोट भी मिल जाते, तो पार्टी की ज़मानत बच सकती थी।

मंत्री का अल्पसंख्यक मोह पड़ा भारी

सिलावट की राजनीतिक यात्रा में अल्पसंख्यक वर्ग का साथ हमेशा अहम रहा है—चाहे कांग्रेस में रहे हों या अब भाजपा में हों।

यही वजह है कि जिला भाजपा इकाई में इकलौते मुस्लिम नेता भी उन्हीं के कहने पर नियुक्त किए गए।

चुनाव से पहले कब्रिस्तान में विकास कार्य भी करवाया गया, लेकिन ये कवायद भी बेअसर रही।

मंत्री के करीबी अधिकतर नेता अल्पसंख्यक वर्ग से हैं, पर यह साथ इस चुनाव में बेअसर साबित हुआ।

भाजपा के लिए चेतावनी की घंटी

भले ही सांवेर की हार को स्थानीय माना जा रहा हो, लेकिन भाजपा के लिए यह एक बड़ी चेतावनी है।

क्योंकि प्रदेश में भाजपा की सरकार है, जिला पंचायत में भी भाजपा का दबदबा है और ऐसे में इस तरह की हार चिंताजनक संकेत देती है।

इससे न केवल मंत्री की कार्यशैली पर सवाल खड़े हुए हैं, बल्कि यह पार्टी की संगठनात्मक कमजोरी को भी उजागर करता है।

देपालपुर के गौतमपुरा में भाजपा को राहत

हालांकि सांवेर में हार के बाद भाजपा को देपालपुर विधानसभा के गौतमपुरा वार्ड से थोड़ी राहत मिली, जहां पार्टी प्रत्याशी शंकर ठेकेदार ने 429 वोट पाकर कांग्रेस के रामचंद्र राठौर (179 वोट) को हराया।

कुल 617 वोट डले, और यह जीत भाजपा के वर्तमान विधायक मनोज पटेल व पूर्व कांग्रेस विधायक विशाल पटेल के आपसी श्रेय विवाद का विषय बन गई है।

पार्टी के भीतर मंथन तय

सांवेर उपचुनाव के नतीजे के बाद भाजपा के अंदर मंथन तय माना जा रहा है।

यह स्पष्ट हो गया है कि मंत्री की उपस्थिति और विकास कार्यों के बावजूद संगठनात्मक ढीलापन, जमीनी पकड़ की कमी और जनसंवाद की कमजोरी भाजपा को भारी पड़ रही है।

वहीं कांग्रेस ने अल्पसंख्यक समर्थन के साथ एकजुट रणनीति से स्पष्ट जीत हासिल की।

जो भी हो इस चुनाव ने साफ कर दिया कि सिर्फ नाम, पद और विकास के दावे चुनाव जिताने के लिए काफी नहीं हैं।

जमीनी मेहनत, सही रणनीति और वोटर्स के विश्वास की अहमियत कहीं ज़्यादा है।

मंत्री सिलावट जैसे वरिष्ठ नेता का अपने ही गढ़ में इस तरह चारों खाने चित होना पार्टी नेतृत्व के लिए एक बड़ा संदेश है।

 

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