Mathura Shahi Idgah Masjid

Mathura Shahi Idgah Masjid

400 साल पुरानी मस्जिद पर फिर से खींचतान, शाही ईदगाह को ‘विवादित ढांचा’ मानने से इलाहाबाद HC का इनकार

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Mathura Shahi Idgah Masjid: श्रीकृष्ण जन्मभूमि से जुड़े विवाद में बड़ा मोड़ आया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को ‘विवादित ढांचा’ मानने से इनकार कर दिया है।

हाईकोर्ट ने ये अहम फैसला सुनाते हुए दाखिल हिंदू पक्ष की याचिका को भी खारिज कर दिया है।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक इस मामले का मूल वाद विचाराधीन है, तब तक किसी एक याचिका के जरिए मस्जिद को विवादित घोषित नहीं किया जा सकता है।

जानें क्या है पूरा मामला?

यह याचिका 5 मार्च 2024 को हिंदू पक्ष के वकील महेंद्र प्रताप सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दाखिल की थी।

याचिका में शाही ईदगाह मस्जिद को बाबरी मस्जिद की तर्ज पर विवादित ढांचा घोषित करने की मांग की गई थी।

उन्होंने दावा किया कि ईदगाह की जगह पहले एक प्राचीन मंदिर था, जिसे मुगलों के शासनकाल में तोड़ा गया और वहां मस्जिद बनाई गई।

उनका तर्क था कि जब अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद को विवादित माना, तो मथुरा में भी उसी आधार पर कार्रवाई होनी चाहिए।

कोर्ट में हिंदू पक्ष का तर्क

हिंदू पक्ष की ओर से कोर्ट में कहा गया था कि मस्जिद परिसर की दीवारों पर आज भी हिंदू देवी-देवताओं के प्रतीक दिखाई देते हैं।

यह जमीन श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट की बताई जाती है।

इसके अलावा ईदगाह कमेटी के पास न तो जमीन के कागजात हैं, न खसरा-खतौनी में नाम दर्ज है, न नगर निगम में और कोई टैक्स रिकॉर्ड भी नहीं है।

यहां तक कि शाही ईदगाह प्रबंध समिति पर बिजली चोरी के मामले में रिपोर्ट भी दर्ज हो चुकी है।

ऐसे में इसे मस्जिद नहीं माना जाना चाहिए और विवादित ढांचा घोषित कर आगे की कार्यवाही की जाए।

मुस्लिम पक्ष की आपत्ति

वहीं मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में जोरदार आपत्ति दर्ज कराकर इन दावों का कड़ा विरोध किया।

मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह मस्जिद 400 साल से वहां स्थित है और मुस्लिम समुदाय नियमित रूप से यहां नमाज अदा करता आ रहा है।

राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद के विवाद का निपटारा सुप्रीम कोर्ट ने किया है।

वो मामला पूरी तरह अलग था, उसमें ऐतिहासिक साक्ष्य और पुरातात्विक रिपोर्ट भी थीं।

लेकिन, यहां हिंदू पक्ष की मांग केवल भावनात्मक और राजनीतिक है, इसका कोई कानूनी आधार नहीं है।

शाही ईदगाह को विवादित ढांचा कहकर धार्मिक तनाव फैलाने की कोशिश हो रही है, जिसे सख्ती से रोका जाना चाहिए।

इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला

इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की सिंगल बेंच में चार बार सुनवाई हुई थी।

23 मई को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे अब सुनाया गया है।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मूल वाद पहले से ही विचाराधीन है और हाईकोर्ट में इसपर ट्रायल चल रहा है।

ऐसे में एक अलग एप्लिकेशन के जरिए किसी धार्मिक ढांचे को विवादित घोषित करने का कोई औचित्य नहीं बनता।

यदि ऐसा किया गया तो इससे मूल वाद की प्रक्रिया प्रभावित होगी।

इस प्रकार, कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि विवादित ढांचे की घोषणा जैसे गंभीर मसलों पर फैसला मूल मुकदमे के आधार पर ही होना चाहिए।

फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी जाएगी चुनौती

हिंदू पक्ष के वकील महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि वे हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।

उन्होंने कहा कि हमारी लड़ाई श्रीकृष्ण जन्मस्थान की रक्षा के लिए है।

जब तक हमें न्याय नहीं मिलेगा, हम संघर्ष करते रहेंगे।

गौरतलब है कि इस मामले से जुड़ी यह अकेली याचिका नहीं है।

हिंदू पक्ष द्वारा ईदगाह मस्जिद परिसर और श्रीकृष्ण जन्मभूमि से जुड़ी कुल 18 याचिकाएं इलाहाबाद हाईकोर्ट में विचाराधीन हैं।

इनमें से कई याचिकाओं में मस्जिद को स्थानांतरित करने, वहां पूजा की अनुमति देने और जमीन की मालिकाना स्थिति स्पष्ट करने जैसी मांगें की गई हैं।

 

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