AIMPLB Waqf Bachao Abhiyan: देश में वक्फ कानून में प्रस्तावित संशोधनों के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने शुक्रवार से ‘वक्फ बचाव अभियान’ की शुरुआत कर दी है।
बोर्ड ने इसे एक लोकतांत्रिक, शांतिपूर्ण और व्यापक जन आंदोलन बताया है, जो 87 दिनों तक चलाया जाएगा।
अभियान के पहले चरण में 1 करोड़ लोगों से हस्ताक्षर जुटाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपे जाएंगे। इसके बाद आंदोलन के अगले चरण की रणनीति तय की जाएगी।
वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए शांतिपूर्ण विरोध
AIMPLB के महासचिव मौलाना फजलुर रहीम मुजद्दिदी ने इस अभियान को लेकर एक वीडियो संदेश जारी करते हुए कहा कि यह केवल एक कानूनी मुद्दा नहीं है, बल्कि मुस्लिम समुदाय की धार्मिक, सांस्कृतिक और संवैधानिक स्वतंत्रता से जुड़ा प्रश्न है।
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित विधेयक वक्फ संपत्तियों की स्वायत्तता, इस्लामी परंपरा और धार्मिक आस्थाओं पर चोट करता है। बोर्ड ने केंद्र सरकार पर सांप्रदायिक एजेंडा चलाने और संविधान की धर्मनिरपेक्ष भावना को कमजोर करने का आरोप लगाया।
अभियान का स्वरूप: शांतिपूर्ण लेकिन प्रभावशाली
बोर्ड ने ‘वक्फ बचाओ, संविधान बचाओ’ नाम से यह अभियान शुरू किया है, जो देशभर के मुस्लिम बहुल इलाकों से लेकर छोटे गांवों तक फैलेगा। इसके तहत हर शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद मानव श्रृंखला बनाई जाएगी।
देश के सभी राज्यों की राजधानियों और जिला मुख्यालयों पर धरने दिए जाएंगे, साथ ही राष्ट्रपति और गृह मंत्री को ज्ञापन भी सौंपे जाएंगे।
बोर्ड की महिला विंग भी इस अभियान में अहम भूमिका निभा रही है। देशभर में महिलाओं को जागरूक करने के लिए स्थानीय स्तर पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
AIMPLB ने मुस्लिम समुदाय से संयम बरतने और किसी भी तरह की भावनात्मक प्रतिक्रिया से बचने की अपील की है।
‘वक्फ बचाव अभियान’ की अहम तारीखें और आयोजन
- 22 अप्रैल: दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में ‘तहफ्फुज-ए-औकाफ कारवां’ नाम से एक बड़ा आयोजन होगा।
- 30 अप्रैल: देशभर में रात 9 बजे से आधे घंटे के लिए ब्लैकआउट करके प्रतीकात्मक विरोध किया जाएगा।
- 7 मई: दिल्ली के रामलीला मैदान में दूसरा बड़ा प्रदर्शन प्रस्तावित है।
इसके अलावा दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, रांची, लखनऊ, अहमदाबाद सहित 50 बड़े शहरों में प्रेस कॉन्फ्रेंस की योजना बनाई गई है। इन शहरों में बुद्धिजीवियों के साथ बैठकें कर वक्फ विधेयक के संभावित दुष्प्रभावों पर चर्चा की जाएगी।
नए वक्फ कानून को लेकर AIMPLB की आपत्तियां
AIMPLB का कहना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों की प्रकृति और स्वायत्तता को नुकसान पहुंचाएगा। बोर्ड ने जो प्रमुख आपत्तियां उठाई हैं, वे इस प्रकार हैं:
- वक्फ संपत्तियों पर कब्जे का खतरा: प्रस्तावित कानून के जरिए सरकार या निजी व्यक्तियों को वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करना आसान हो जाएगा।
- स्वायत्तता का क्षरण: कानून में गैर-मुस्लिम सदस्यों को वक्फ बोर्ड में शामिल करने और जिला कलेक्टर को मूल्यांकन का अधिकार देने की बात कही गई है, जो बोर्ड की स्वतंत्रता के खिलाफ है।
- धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला: AIMPLB का कहना है कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन करता है, जिसमें धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी दी गई है।
- सरकारी हस्तक्षेप: प्रस्तावित संशोधनों से वक्फ बोर्डों की शक्तियाँ कम हो जाएंगी और सरकार का नियंत्रण बढ़ जाएगा, जो अस्वीकार्य है।
ऑल इंडिया वुमेन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का समर्थन
जहां AIMPLB, जमीयत-उलेमा-ए-हिंद और राजस्थान मुस्लिम फोरम जैसे बड़े मुस्लिम संगठन इस विधेयक का पुरजोर विरोध कर रहे हैं, वहीं ऑल इंडिया वुमेन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसका समर्थन किया है।
उनकी अध्यक्ष शाइस्ता अंबर का कहना है कि यह कानून गरीब मुस्लिमों, विशेषकर महिलाओं के हित में है और इससे वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जों को हटाने में मदद मिलेगी।
वहीं, राजस्थान में इस कानून के खिलाफ 28 मुस्लिम संगठनों के साझा मंच ‘राजस्थान मुस्लिम फोरम’ ने भी विरोध जताया है।
अजमेर दरगाह की अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती ने इसे “राज्य प्रायोजित ज़मीन हड़पने” का प्रयास बताया और कहा कि वक्फ संपत्तियां किसी की निजी नहीं, बल्कि धार्मिक ट्रस्ट हैं जिन्हें पूर्वजों ने सैकड़ों साल पहले दान दिया था।
फोरम ने उन लोगों का सामाजिक बहिष्कार करने की चेतावनी दी है, जो सार्वजनिक रूप से इस कानून का समर्थन कर रहे हैं।
नए वक्फ कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
AIMPLB का ‘वक्फ बचाव अभियान’ देश में एक नई बहस की शुरुआत कर रहा है।
क्या सरकार धार्मिक ट्रस्टों की स्वायत्तता में दखल दे सकती है?
क्या यह कानून वास्तव में समुदाय के हित में है या फिर राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा?
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और जनता की भागीदारी इस आंदोलन की दिशा तय करेगी।
बता दें वक्फ कानून की संवैधानिकता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में 17 याचिकाएं दाखिल की गई हैं।
याचिकाकर्ताओं में राजनैतिक दल, सांसद, सामाजिक संगठन और वकील शामिल हैं।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ 16 अप्रैल को 10 याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
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