महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी राय रखी। उन्होंने विधानसभा चुनावों और महायुति के बारे में बात की, साथ ही भाजपा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को भी स्पष्ट किया।
उद्धव ठाकरे के लिए भाजपा के दरवाजे बंद
फडणवीस ने स्पष्ट किया कि उद्धव ठाकरे के लिए भाजपा के दरवाजे अब बंद हो चुके हैं और भविष्य में उनकी पार्टी उनके साथ गठबंधन नहीं करेगी। उन्होंने 2019 के चुनावों को अपने अनुभव के रूप में साझा किया, जिससे उन्होंने राजनीति में कभी भी कोई निश्चितता न होने की बात सीखी। फडणवीस ने यह भी कहा कि अब भाजपा को महायुति में निर्णायक बहुमत मिलेगा।
मुख्यमंत्री पद को लेकर फडणवीस का बयान
जब फडणवीस से पूछा गया कि क्या वे महायुति के सत्ता में आने पर मुख्यमंत्री बनने के इच्छुक हैं, तो उन्होंने कहा, “मैं न तो मुख्यमंत्री की दौड़ में हूं, न ही अध्यक्ष की दौड़ में। भाजपा मेरा घर है, और मैं जहां पार्टी मुझे फिट करेगी, वहां रहूंगा।” फडणवीस ने बताया कि उन्हें पहले से पता था कि एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया गया था, और उन्होंने इस निर्णय को स्वीकार किया क्योंकि पार्टी को उस समय एक अनुभवी नेता की जरूरत थी।
शरद पवार और पार्टी तोड़ने के आरोप
फडणवीस ने आरोप लगाया कि शरद पवार पार्टी और परिवार तोड़ने के मामले में माहिर हैं। उन्होंने कहा, “अगर महाराष्ट्र में पार्टियों को तोड़ने और जोड़ने की बात हो, तो शरद पवार का नाम सबसे ऊपर आता है।” उन्होंने यह भी बताया कि शिवसेना और एनसीपी की टूट की वजह उनकी अपनी महत्वाकांक्षाएं थीं। उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनना चाहते थे, जबकि शरद पवार ने अजित पवार को पार्टी नेतृत्व से बाहर कर दिया था।
‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे पर फडणवीस का बयान
फडणवीस ने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि इस नारे में कुछ भी गलत नहीं है। उनका मानना था कि जब भी इस देश को जातियों, प्रांतों या समुदायों में बांटा गया, यह देश गुलाम हुआ है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि देश के इतिहास में हमेशा बंटवारे से नुकसान ही हुआ है।
उलेमा बोर्ड का समर्थन
महा विकास अघाड़ी द्वारा मुस्लिम उलेमाओं से समर्थन प्राप्त करने पर फडणवीस ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “महा विकास अघाड़ी ने उलेमा काउंसिल से समर्थन लेने के लिए 17 मांगें स्वीकार की हैं। यह राजनीति किस तरह की है, जब दंगों के दौरान मुस्लिम समुदाय के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने की मांग की जा रही है?”
अडाणी ग्रुप को लेकर महायुति में मतभेद
अडाणी ग्रुप से संबंधित मुद्दे पर फडणवीस ने कहा कि शिवसेना की नीति रही है कि सत्ता से बाहर रहते हुए विरोध किया जाता है, लेकिन सत्ता में आने पर वही समर्थन किया जाता है। उन्होंने बताया कि अडाणी के द्वारा धारावी प्रोजेक्ट का टेंडर उस समय के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की कैबिनेट द्वारा मंजूर किया गया था और इसमें भाजपा का कोई हाथ नहीं था।
फडणवीस ने इस साक्षात्कार के माध्यम से महायुति और भाजपा की आगामी रणनीतियों का स्पष्ट रूप से संकेत दिया। उनका कहना था कि पार्टी की प्राथमिकता राज्य में मजबूत और स्थिर सरकार बनाना है।