Air India Plane Crash Compensation: अहमदाबाद विमान हादसे में जान गंवाने वाले यात्रियों के परिजन को एयर इंडिया मुआवजा देने से बचना चाहती है।
एयरलाइन कंपनी पर ये गंभीर आरोप लगाए हैं, हादसे में जान गंवाने वाले पैसेंजर्स के परिजनों ने।
12 जून भारत के इतिहास का वो हवाई हादसा जिसने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है।
इस हादसे में जान गंवाने वाले पैसेंजर्स के परिजनों ने एयर इंडिया पर जमकर गंभीर आरोपों की बौछार की है।
परिजनों ने एयर इंडिया पर आरोप लगाए है कि एयरलाइंस वित्तीय निर्भरता से जुड़े कागजातों पर हमें हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य कर रहा है, जिससे मुआवजे की रकम में कमी की जा सके।
एयरलाइंस ने मृतकों के आरोपों को करारा बेबुनियाद
एयरलाइंस ने मृतकों के आरोपों को बेबुनियाद करार दिया है।
उनकी तरफ से बयान सामने आया कि हम सिर्फ मुआवजे से जुड़ी प्रक्रिया को पूरा कर रहे है।
सूत्रों के मुताबिक उनके द्वारा प्रेषित की गई प्रश्नावली का उद्देश्य पारिवारिक संबंधों की पुष्टि करना है।
जिससे उचित मुआवजा मृतकों के परिवार तक पहुंचाया जा सके।
उन्होंने यह भी कहा यह एक औपचारिक प्रक्रिया है जिसका पालन करना आवश्यक है।
एयरलाइंस ने आगे कहा, हम पीड़ित परिवारों के प्रति हर संभव सहयता करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा प्रश्नावली को ई-मेल या व्यक्तिगत रूप सके जमा किया जा सकता है।
हमारी ओर से पीड़ित या उनके परिचित के घर कोई दौरा नहीं किया जायेगा।
अब तक 47 परिवारों को अग्रिम भुगतान किया जा चुका है और 55 परिवारों के लिए भुगतान प्रक्रिया जारी है।
एयर इंडिया के सूत्रों के अनुसार, सभी कर्यों के लिए अलग-अलग टीमें तैयार की गई हैं, जो अंतिम संस्कार, आवास से लेकर अन्य व्यवस्थाओं में परिवारों की मदद कर रही हैं।
यूके की एक लीगल फर्म ने एयर इंडिया को घेरा
40 से अधिक पीड़ित परिवारों का प्रतिनिधित्व कर रही यूके की एक लीगल फर्म ने एयर इंडिया पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
फर्म ने कहा एयरलाइंस इस प्रश्नावली के जरिए परिवारों पर आर्थिक जानकारी देने के लिए दबाव बना रही है।
एयर इंडिया इस तरह से व्यवहार कर लगभग 1,050 करोड़ रुपए बचाने की कोशिश कर सकती है।
फर्म की तरफ ये भी कहा गया कि प्रश्नावली में आर्थिक निर्भरता और उत्तरजीवी लाभार्थी (Surviving Beneficiaries) जैसे कई ऐसे कानूनी शव्दों को शामिल किया गया है जिनका स्पष्टीकरण करना मुश्किल है।
इस हादसे ने कई घरों के चिराग बुझा दिए और अब जब ये परिवार अपने जीवन की सबसे मुश्किल घड़ी से गुज़र रहे हैं, हमें इनका संबल बनने की आवश्यकता है ।
‘पॉलिटिक्स वाला’ किसी पक्ष या संस्था पर उंगली उठाने के बजाय सिर्फ़ इतना कहना चाहता है कि जिसने अपनों को खोया है, उसे कागज़ों की नहीं, कंधे की ज़रूरत है।
मुआवज़ा कोई रकम नहीं, एक भरोसा है कि देश उनके साथ है। कागज़ी औपचारिकताएं ज़रूरी हो सकती हैं, लेकिन इंसानियत सबसे ऊपर होनी चाहिए।
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