Delhi Mayor Election: दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा बदलाव सामने आया है।
आम आदमी पार्टी (AAP) ने मेयर चुनाव से हटने का फैसला करते हुए भारतीय जनता पार्टी (BJP) को वॉकओवर दे दिया है।
इससे अब यह लगभग तय हो गया है कि भाजपा उम्मीदवार राजा इकबाल सिंह दिल्ली के नए मेयर बनेंगे।
डिप्टी मेयर पद के लिए जय भगवान यादव को भाजपा ने मैदान में उतारा है।
आम आदमी पार्टी की इस रणनीतिक वापसी के पीछे राजनीतिक दबाव, अंदरूनी असंतोष और विधानसभा चुनाव में हार जैसे कारण माने जा रहे हैं।
उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारने का निर्णय
सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात की घोषणा की गई कि वह इस बार आम आदमी पार्टी मेयर चुनाव में भाग नहीं लेगी।
पार्टी की वरिष्ठ नेता आतिशी और सौरभ भारद्वाज ने बताया कि उनकी पार्टी ने इस बार अपना कोई उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारने का निर्णय लिया है।
सौरभ भारद्वाज ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा हमारे पार्षदों को धमका रही है, उन्हें तोड़ने की कोशिश हो रही है।
हमने फैसला किया है कि इस बार हम इस खेल में नहीं पड़ेंगे।
भाजपा बिना किसी बहाने के अब अपनी चार इंजन वाली सरकार चलाए और दिल्लीवालों को काम करके दिखाए।
MCD मेयर चुनाव में AAP इस बार नहीं उतारेगी अपना उम्मीदवार‼️
👉 BJP ने पहले भी MCD का चुनाव रुकवा दिया था। परिसीमन के दौरान वार्डों को इधर-उधर किया गया
👉 परिसीमन के दौरान जबरदस्त गड़बड़ी और भ्रष्टाचार किया गया। इसके बावजूद BJP चुनाव हारी और AAP की सरकार बनी
👉 इसके बाद भी… pic.twitter.com/RQzIzk9OE2
— AAP (@AamAadmiParty) April 21, 2025
भाजपा के मेयर बनने की संभावना प्रबल
MCD (म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन ऑफ दिल्ली) में फिलहाल कुल 238 पार्षद हैं।
इसके अलावा लोकसभा और राज्यसभा के सांसद और मनोनीत विधायक मिलाकर कुल स्ट्रेंथ 262 हो जाती है।
किसी भी दल को अपना मेयर बनाने के लिए 132 वोटों की आवश्यकता होती है।
भाजपा के पास वर्तमान में 117 पार्षद, 7 लोकसभा सांसद और 11 मनोनीत विधायकों का समर्थन है।
जिससे भाजपा के पास कुल 135 वोट हैं, जो बहुमत के आंकड़े से तीन अधिक हैं।
यानी अगर आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ती भी, तब भी भाजपा के मेयर बनने की संभावना प्रबल थी और अब तो यह बिना विरोध ही तय हो गया है।
कांग्रेस के एक वोट से पिछला चुनाव जीती थी आप
इससे पहले नंवबर 2024 में हुए दिल्ली मेयर चुनाव में आप उम्मीदवार महेश खिंची ने भाजपा के किशन लाल को केवल तीन वोटों से हराया था।
उस समय AAP को 133 और भाजपा को 130 वोट मिले थे।
वैसे तो चुनाव में AAP के पक्ष में 132 वोट पड़े, वहीं भाजपा को भी 132 वोट मिले थे।
लेकिन, दो वोट अमान्य करार दिए गए थे, क्योंकि AAP के 10 पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग की थी।
इस दौरान कांग्रेस पार्षद सबीला बेगम ने AAP को वोट कर दिया।
ये एक वोट मिलने से AAP बहुमत के आंकड़े 133 तक पहुंच गई और जीत गई।
बता दें कांग्रेस के 8 पार्षदों ने चुनाव का बहिष्कार किया और मतदान प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लिया।
इसके बाद आप और भाजपा के बीच लंबे समय तक चले विवाद के कारण अप्रैल से चुनाव स्थगित हो गए थे।
AAP पार्षदों का धोखा, विधानसभा चुनाव में मिली हार
फरवरी 2025 में आम आदमी पार्टी को उस समय बड़ा झटका लगा था, जब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उनके दल के तीन पार्षदों ने भाजपा का दामन थाम लिया था।
अनीता बसोया (एंड्रयूज गंज), धर्मवीर (आरके पुरम) और निखिल (चपराना) समेत AAP के चार और नेता भी भाजपा में शामिल हो गए थे
वहीं, 8 फरवरी को हुए विधानसभा चुनावों में भी भाजपा ने 70 में से 48 सीटें जीतकर 26 साल बाद राजधानी में सत्ता में वापसी की।
इधर AAP को 40 सीटों का नुकसान हुआ और पार्टी की सीटें घटकर 22 रह गईं।
भाजपा ने रेखा गुप्ता की अगुवाई में सरकार बनाई और उसकी राजनीतिक स्थिति मजबूत हो गई।
AAP का आरोप, BJP ने लोकतंत्र की गरिमा गिराई
दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत और आप की हार का असर अब MCD में भी साफ-साफ देखने को मिल रहा है।
वहीं, आम आदमी पार्टी ने मेयर चुनाव से हटने के पीछे एक बड़ा कारण यह भी बताया कि भाजपा ने MCD में पिछले कार्यकाल में भी कई बार बैठकें बाधित कीं और हंगामा किया।
उन्होंने आरोप लगाया कि परिसीमन के दौरान जबरदस्त गड़बड़ी और भ्रष्टाचार हुआ, वार्डों को मनमाने तरीके से बदला गया ताकि भाजपा को फायदा मिल सके।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जब भाजपा हार गई थी, तब भी उन्होंने MCD की कार्यवाही में व्यवधान डाला।
अब जब उनके पास संख्या है, तो हम उन्हें बिना किसी अड़चन के काम करने का अवसर देना चाहते हैं।
सौरभ भारद्वाज ने कहा, जनता खुद तय करेगी कि भाजपा कितना काम करती है।
दिल्ली में ‘चार इंजन सरकार’ का कमाल
फिलहाल, दिल्ली की राजनीति में भाजपा अब स्पष्ट रूप से मजबूत स्थिति में है।
विधानसभा चुनाव जीतने के बाद अब MCD में भी उसका वर्चस्व स्थापित होता दिखाई दे रहा है।
अब दिल्ली में ‘चार इंजन सरकार’ सरकार है, यानी मुख्यमंत्री, मेयर, डिप्टी मेयर और केंद्र सरकार सभी भाजपा के पास हैं।
जहां आम आदमी पार्टी के लिए यह समय आत्ममंथन का है।
वहीं भाजपा को अब यह दिखाना होगा कि सत्ता मिलने के बाद वह वास्तव में दिल्ली के लोगों की समस्याओं का समाधान कर सकती है।
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