Kota Student Suicide Case: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कोटा में हो रहे छात्र सुसाइड मामलों को गंभीरता से लेते हुए राजस्थान सरकार को कड़ी फटकार लगाई है।
अदालत ने सवाल उठाए कि आखिर क्यों कोटा जैसे शिक्षा के केंद्र में छात्र अपनी जान क्यों दे रहे हैं?
इस गंभीर समस्या को रोकने के लिए सरकार अब तक क्या किया है?
सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी कोटा में छात्रा का शव मिलने और IIT खड़गपुर के छात्र के सुसाइड मामले की सुनवाई के दौरान की।
कोर्ट ने राजस्थान सरकार से जवाब मांगा है और 14 जुलाई को इस मामले की अगली सुनवाई होगी।
कोटा में छात्र सुसाइड की बढ़ती संख्या
कोटा, देशभर में प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग के लिए जाना जाता है।
लेकिन, यही कोटा पिछले कुछ सालों से छात्रों का आत्महत्या के मामलों को लेकर सुर्खियों में है।
2023 में कोटा में कुल 26 छात्रों ने अपनी जान गंवाई थी, वहीं इस साल 2024 में 17 स्टूडेंट्स सुसाइड कर चुके हैं।
हाल ही में 4 मई को NEET परीक्षा से कुछ घंटे पहले 17 साल की एक छात्रा का कोटा के हॉस्टल में मृत पाया जाना।
IIT खड़गपुर के एक 22 वर्षीय छात्र द्वारा उसी दिन फांसी लगाना प्रमुख घटनाएं हैं, जिनके बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया।
इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ना सिर्फ राजस्थान सरकार को फटकार लगाई बल्कि इस मामले में जवाब भी मांगा है।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और सवाल
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने सुनवाई के दौरान राजस्थान सरकार से कड़ा सवाल किया।
कोटा में अब तक 14 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं। आप एक राज्य के तौर पर इस विषय पर क्या कर रहे हैं?
छात्रों को कोटा में ही क्यों आत्महत्या करनी पड़ रही है? क्या आपने इस गंभीर समस्या पर कोई ठोस कदम उठाया है?
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा कि छात्रा के सुसाइड के मामले में FIR क्यों दर्ज नहीं की गई।
कोर्ट ने कहा कि चाहे छात्रा हॉस्टल में नहीं रह रही थी, लेकिन पुलिस की जिम्मेदारी थी कि इस मामले की गंभीरता को समझते हुए उचित कार्रवाई करें।
अदालत ने यह भी फटकार लगाई कि पुलिस और अधिकारियों ने कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया।
राजस्थान सरकार के जवाब पर कोर्ट की नाराजगी
राजस्थान सरकार के वकील ने बताया कि सुसाइड मामलों की जांच के लिए SIT गठित किया गया है और एक टास्क फोर्स रिपोर्ट तैयार कर रहा है, जिसके लिए थोड़ा समय चाहिए।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस जवाब को संतोषजनक नहीं माना और कहा कि यह एक संवेदनशील मुद्दा है, जिसके लिए सिर्फ जांच करना ही काफी नहीं है, बल्कि प्रभावी रोकथाम और बच्चों की सुरक्षा के लिए तत्काल कदम जरूरी हैं।
कोचिंग संस्थानों को जारी निर्देश के बाद भी हल नहीं
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, छात्र सुसाइड कोई एक कारण नहीं होता, बल्कि कई कारण मिलकर इसे जन्म देते हैं।
एसुसाइड के पीछे जेनेटिक, सामाजिक, पारिवारिक दबाव, पियर प्रेशर और शिक्षा तंत्र की भूमिकाएं होती हैं।
बच्चों को असफलता को स्वीकार करना और उससे निपटना सिखाना बेहद जरूरी है।
कोटा में कोचिंग संस्थानों की बढ़ती संख्या और उनमें सुविधाओं की कमी भी चिंता का विषय है।
पिछले साल बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर शिक्षा मंत्रालय ने कोचिंग संस्थानों के लिए सुरक्षा और संचालन की गाइडलाइंस जारी की थीं।
बावजूद इसके, छात्र सुसाइड की घटनाएं रुक नहीं पाई हैं।
सरकार द्वारा उठाए गए कदम
सरकार ने छात्र सुसाइड की रोकथाम के लिए कुछ कानून और नीतियां बनाई हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
- मेंटल हेल्थकेयर एक्ट, 2017: मानसिक विकारों से पीड़ित व्यक्ति को उपचार और गरिमा के साथ जीवन बिताने का अधिकार प्रदान करता है।
- एंटी रैगिंग नियम: सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, रैगिंग की शिकायत आने पर सभी शैक्षणिक संस्थानों को FIR दर्ज करनी होती है।
- स्टूडेंट काउंसलिंग सिस्टम: UGC ने 2016 में विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया कि वे छात्रों के तनाव और मानसिक समस्याओं को सुलझाने के लिए काउंसलिंग सिस्टम स्थापित करें।
- गेटकीपर्स ट्रेनिंग: NIMHANS और सुसाइड प्रिवेंशन इंडिया फाउंडेशन (SPIF) के माध्यम से ट्रेनिंग प्रदान की जाती है ताकि सुसाइड की आशंका वाले लोगों की पहचान हो सके।
- NEP 2020: इसमें स्कूलों में सोशल वर्कर्स और काउंसलर्स रखने और छात्रों की सामाजिक-भावनात्मक शिक्षा पर जोर दिया गया है।
मेंटल हेल्थ और सुसाइड प्रिवेंशन के लिए NTF का गठन
कोटा में छात्र सुसाइड का बढ़ता मामला न केवल राजस्थान सरकार के लिए बल्कि पूरे देश के लिए चिंताजनक है।
यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि आने वाली पीढ़ी को आत्महत्या की बजाय संघर्ष और सफलता के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को मेंटल हेल्थ और सुसाइड प्रिवेंशन के लिए नेशनल टास्क फोर्स (NTF) के गठन के लिए वित्तीय सहायता देने का भी निर्देश दिया है।
केंद्र सरकार को दो दिन के अंदर 20 लाख रुपये इस टास्क फोर्स के गठन के लिए जमा कराने हैं।
कोर्ट की अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी, जिसमें राजस्थान सरकार से कोर्ट जवाब मांगेगी।
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