Maharashtra Minor Rape Case

Maharashtra Minor Rape Case

POCSO आरोपी को जमानत, बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा- शारीरिक संबंध नाबालिग की सहमति से बने

Share Politics Wala News

Maharashtra Minor Rape Case: बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए पॉक्सो (POCSO) एक्ट के तहत गिरफ्तार एक 22 वर्षीय युवक को जमानत दे दी, जो पिछले तीन साल से जेल में बंद था।

अदालत ने कहा कि नाबालिग लड़की और युवक के बीच प्रेम संबंध थे और शारीरिक संबंध दोनों की सहमति से बने थे। कोर्ट का मानना था कि लड़की को इस रिश्ते और उसके परिणामों की पूरी जानकारी थी।

पहले लड़की भागी फिर बाद में मदद मांगी

यह मामला अगस्त 2020 का है, जब 15 साल की एक लड़की अपने घर से लापता हो गई थी। लड़की के पिता को शक था कि वह युवक के साथ भाग गई है। बाद में लड़की ने खुद अपने पिता को फोन कर जानकारी दी कि वह उत्तर प्रदेश के एक गांव में युवक के साथ रह रही है।

यह मामला तब और गंभीर हो गया जब मई 2021 में लड़की ने अपने पिता को बताया कि वह गर्भवती है और युवक अब उससे शादी करने से इनकार कर रहा है। लड़की ने अपने घर लौटने में मदद मांगी, जिसके बाद पिता पुलिस के साथ उत्तर प्रदेश गए और उसे नवी मुंबई वापस ले आए।

अपनी मर्जी से घर छोड़ा और युवक के साथ रहने गई

बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस मिलिंद जाधव की एकल पीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि लड़की के बयानों से यह स्पष्ट है कि वह युवक को जानती थी और दोनों के बीच प्रेम संबंध थे। उसने अपनी मर्जी से घर छोड़ा और युवक के साथ रहने गई।

कोर्ट ने यह भी कहा कि कानून भले ही नाबालिग की सहमति को वैध नहीं मानता, लेकिन जब एक लड़की को उसके निर्णयों के परिणामों की समझ हो, तो परिस्थिति के अनुसार न्याय की दृष्टि से अलग दृष्टिकोण अपनाना जरूरी हो जाता है।

न्यायालय ने यह भी नोट किया कि चार साल बीत जाने के बावजूद अब तक ट्रायल शुरू नहीं हुआ है। अदालत ने इस विलंब को आरोपी के खिलाफ अन्याय माना और कहा कि वह लंबे समय से जेल में है, इसलिए उसे जमानत मिलनी चाहिए।

पहली बार शारीरिक संबंध मर्जी के बिना बने

लड़की 2019 से युवक को जानती थी। युवक ने पहले अपने प्रेम का इज़हार किया था, जिसे उसने स्वीकार किया। उसने बताया कि माता-पिता की मना करने के बावजूद वे मिलते रहे।

मार्च 2020 में युवक ने उसके साथ जबरन संबंध बनाए, जिसके बाद वह कोविड लॉकडाउन के चलते गांव लौट गया। कुछ महीनों बाद वह उसे साथ ले जाने आया और लड़की स्वेच्छा से उसके साथ गई।

यह बयान इस बात का संकेत देता है कि लड़की को अपनी पसंद और रिश्ते की प्रकृति की जानकारी थी। हालांकि उसका यह भी कहना है कि पहली बार शारीरिक संबंध उसकी मर्जी के बिना बने।

क्या है POCSO कानून और इसकी सीमाएं ?

POCSO कानून के अनुसार, यदि पीड़िता 18 वर्ष से कम उम्र की है तो उसकी सहमति का कोई कानूनी महत्व नहीं होता। ऐसे मामलों में आरोपी को ‘कठोर दंड’ का प्रावधान है, भले ही संबंध आपसी सहमति से बने हों।

इस कानून का उद्देश्य बच्चों को यौन अपराधों से पूरी तरह सुरक्षा देना है। हालांकि, इस मामले में अदालत ने ‘कानून के अक्षर’ के बजाय ‘न्याय की भावना’ को प्राथमिकता दी और निर्णय दिया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले भी चर्चा में

बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले के कुछ दिन पहले ही, इलाहाबाद हाईकोर्ट के दो फैसले भी सुर्खियों में रहे।

10 अप्रैल को जस्टिस संजय कुमार सिंह ने एक रेप केस की सुनवाई करते हुए कहा, “यदि पीड़िता के आरोपों को सही माना जाए, तो कहा जा सकता है कि उसने खुद ही मुसीबत को न्योता दिया और वह रेप के लिए खुद भी जिम्मेदार है।” इस टिप्पणी को लेकर सोशल मीडिया पर काफी आलोचना की गई।

वहीं मार्च में एक अन्य केस में जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की बेंच ने टिप्पणी की थी कि, “स्तन दबाना और पायजामे की डोरी तोड़ना रेप की कोशिश नहीं मानी जा सकती।”

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए कहा था कि यह टिप्पणी संवेदनहीन और अमानवीय है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने हाईकोर्ट के जज की आलोचना करते हुए कहा था कि यह निर्णय मानवता और कानून दोनों के खिलाफ है।

भारत की न्याय प्रणाली एक कठिन दौर से गुजर रही

इन तीनों मामलों से यह स्पष्ट होता है कि भारत की न्याय प्रणाली एक कठिन दौर से गुजर रही है, जहां कानून की कठोरता और न्याय की संवेदनशीलता के बीच संतुलन बैठाना चुनौतीपूर्ण हो गया है।

POCSO जैसे कानून बच्चों की सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक हैं, लेकिन जब किशोर प्रेम, सहमति और भावनात्मक निर्णय की जटिलताएं जुड़ती हैं, तो कोर्ट को हर मामले में तथ्य और संदर्भ के आधार पर निर्णय लेना होता है।

बॉम्बे हाईकोर्ट का यह फैसला निश्चित ही एक नई बहस को जन्म देगा कि क्या हर नाबालिग को एक समान स्तर पर मासूम माना जाना चाहिए या फिर उनके मानसिक परिपक्वता के आधार पर निर्णय लिए जाने चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

document.addEventListener("DOMContentLoaded", function() { var dropdown = document.querySelector("#gtranslate_selector select"); if (dropdown) { var options = Array.from(dropdown.options); var odiaOption = options.find(option => option.value === "or"); if (odiaOption) { dropdown.removeChild(odiaOption); dropdown.insertBefore(odiaOption, dropdown.firstChild); } } });