Waqf Bill Affect Election: केंद्र सरकार द्वारा संसद में पारित वक्फ संशोधन विधेयक 2024 न सिर्फ कानूनी और धार्मिक बहस का विषय बन चुका है, बल्कि अब यह देश की दो सबसे अहम राज्यों बिहार और उत्तर प्रदेश की राजनीति को गहराई से प्रभावित करने वाला मुद्दा बनता दिख रहा है।
आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव 2025 और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2027 में वक्फ बिल सत्ताधारी दलों और विपक्षी दलों दोनों के लिए एक चुनौतीपूर्ण मुद्दा बन सकता है, खासकर मुस्लिम वोट बैंक और सामाजिक न्याय की राजनीति को देखते हुए।
विपक्षी दलों की नाराजगी, सहयोगी दलों में भगदड़ और मुस्लिम समुदाय में असंतोष का माहौल देखकर अनुमान जताया जा रहा है कि यह बिल आने वाले विधानसभा चुनावों पर असर डालेगा।
सरकार बनी तो बिहार में नहीं लागू होगा बिल – तेजस्वी
बिहार के नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने साफ कहा है कि अगर बिहार में उनकी सरकार बनती है तो वह किसी भी कीमत पर इस बिल को लागू नहीं होने देंगे।
पटना में शनिवार 5 अप्रैल को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव ने इसे “असंवैधानिक” करार देते हुए कहा कि यह कानून न सिर्फ मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाता है, बल्कि इसका उद्देश्य दलितों, पिछड़ों और अति पिछड़ों को भी मुख्यधारा से बाहर करना है। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि यह बिल सिर्फ मुस्लिम संपत्तियों पर कब्जे की मंशा से लाया गया है।
तेजस्वी यादव ने कहा कि आरएसएस और भाजपा नहीं चाहते कि दलित, पिछड़े और मुसलमान तरक्की करें, इसलिए कभी आरक्षण रोका जाता है, तो कभी वक्फ जैसी संस्थाओं पर हमला किया जाता है। उनका यह बयान चुनावी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
बीते दिनों वक्फ बिल पर केंद्र के रुख का समर्थन करने के कारण जदयू के मुस्लिम नेताओं में नाराजगी देखने को मिली है। 7 नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पार्टी से इस्तीफा भी दे दिया है, जिससे जदयू को नुकसान और राजद को राजनीतिक लाभ मिलने की संभावनाएं हैं।
RJD प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने भी बिल को अदालत में चुनौती देने की बात कही है। ऐसे में यह स्पष्ट है कि राजद इस विधेयक को एक प्रमुख चुनावी हथियार की तरह इस्तेमाल करने के मूड में है।
वहीं बिहार की 17 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम आबादी के बीच यह संदेश देना कि RJD उनके साथ है, आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
इस्तीफों का सिलसिला शुरू, सहयोगी दलों में मची भगदड़
उत्तर प्रदेश में भी वक्फ बिल ने भाजपा के लिए बड़ी परेशानी खड़ी कर दी है। खासकर उसके सहयोगी दलों में असंतोष और इस्तीफों का सिलसिला शुरू हो चुका है।
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश संगठन मंत्री जफर नकवी ने शनिवार को इस्तीफा दे दिया। उन्होंने पार्टी प्रमुख और यूपी सरकार के मंत्री ओम प्रकाश राजभर पर मुस्लिम विरोधी मानसिकता और इमामबाड़ों के खिलाफ बयानबाजी का आरोप लगाया।
जफर नकवी ने अपने इस्तीफे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि ओम प्रकाश राजभर से अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय वापस लिया जाए क्योंकि उनकी नीतियां अल्पसंख्यकों के हित में नहीं हैं।
इसके पहले राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के दो मुस्लिम नेताओं ने भी पार्टी छोड़ी थी। रालोद के अध्यक्ष जयंत चौधरी के भाजपा के साथ जुड़ाव से पार्टी के मुस्लिम नेताओं में असंतोष है।
UP में मिशन-27 पर संकट, मुस्लिम बहुल सीटें हो रही दूर
भाजपा ने उत्तर प्रदेश में मिशन-27 के तहत 27 मुस्लिम बहुल लोकसभा सीटों को जीतने की रणनीति बनाई थी। इसके लिए उसने सुभासपा, अपना दल (सोनेलाल), निषाद पार्टी और रालोद जैसे क्षेत्रीय दलों से गठबंधन किया था।
लेकिन वक्फ बिल को लेकर इन दलों के भीतर पैदा हुई घबराहट और इस्तीफों ने भाजपा की रणनीति को कमजोर कर दिया है।
फिलहाल, यूपी विधानसभा में सुभासपा के पास 6 विधायक हैं। रालोद के पास 9 विधायक और 2 सांसद हैं।
ये दोनों ही पार्टियां पूर्वांचल और पश्चिमी यूपी में मजबूत मुस्लिम वोट बैंक रखती हैं। वहीं इन क्षेत्रों में वक्फ बिल के खिलाफ उपजे असंतोष का सीधा असर बीजेपी गठबंधन के वोट शेयर पर पड़ सकता है।
सीटों के गणित से लेकर गठबंधन तक पर असर
वक्फ संशोधन विधेयक अब एक सामाजिक न्याय बनाम सत्ताधारी नीति की लड़ाई में बदल चुका है।
जहां विपक्ष इसे संविधान, अल्पसंख्यक अधिकार और सामाजिक संतुलन के खिलाफ बता रहा है। वहीं भाजपा अब तक अपने स्टैंड को सिर्फ “कानूनी सुधार” तक सीमित रख रही है।
बिहार में तेजस्वी यादव इस मुद्दे पर मुस्लिम और पिछड़े वर्गों का मजबूत गठजोड़ बनाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं यूपी में भाजपा अपने सहयोगियों को साथ बनाए रखने के लिए बैकफुट पर आती दिख रही है।
इस बात में अब कोई संदेह नहीं कि वक्फ संशोधन विधेयक अगले दो बड़े विधानसभा चुनावों में एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनेगा, जिसका असर सीटों के गणित से लेकर गठबंधन की दिशा तक सब पर पड़ेगा।
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