Places Name Changed In Uttarakhand: उत्तराखंड सरकार ने नवरात्रों के शुभ अवसर पर बड़ा निर्णय लेते हुए प्रदेश के चार जिलों हरिद्वार, देहरादून, उधम सिंह नगर और नैनीताल में कई स्थानों के नाम बदल दिए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस फैसले को भारतीय संस्कृति और विरासत के अनुरूप बताते हुए कहा कि यह परिवर्तन जनभावना और राष्ट्र की गौरवशाली परंपरा को सहेजने की दिशा में उठाया गया कदम है। शासन द्वारा इसके लिए आधिकारिक आदेश भी जारी कर दिए गए हैं।
हरिद्वार जिले में 10 स्थानों के नाम बदले गए
हरिद्वार जिले में जिन 10 स्थानों के नाम बदले गए हैं, उनमें प्रमुख रूप से औरंगजेबपुर, गाजीवाली, मोहम्मदपुर, अकबरपुर, खानपुर और नवाबी रोड जैसे नाम शामिल थे। अब इन स्थानों के नाम शिवाजी नगर, आर्य नगर, मोहनपुर जट, अंबेडकर नगर, विजयनगर और शूरसेन नगर कर दिए गए हैं। सरकार का मानना है कि इन परिवर्तनों से ऐतिहासिक महापुरुषों को सम्मान मिलेगा और भारतीय परंपरा को बल मिलेगा।
देहरादून, नैनीताल और उधम सिंह नगर में भी बदलाव
देहरादून जिले में चार स्थानों के नाम बदले गए हैं, जिनमें मियांवाला को रामजी वाला, पीरवाला को केसरी नगर, चांदपुर खुर्द को पृथ्वीराज नगर और अब्दुल्लापुर को दक्ष नगर का नाम दिया गया है। इसी तरह नैनीताल जिले में नवाबी रोड का नाम बदलकर अटल मार्ग और पनचक्की से आईटीआई मार्ग को गुरु गोवलकर मार्ग कर दिया गया है। वहीं, उधम सिंह नगर जिले के नगर पंचायत सुल्तानपुर पट्टी का नाम अब कौशल्यपुरी होगा।

सरकार ने बताई नाम बदलने की वजह
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस नाम परिवर्तन को ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ते हुए कहा कि यह बदलाव समाज को भारतीय महापुरुषों से प्रेरणा लेने का अवसर देगा। उन्होंने कहा कि नाम केवल पहचान का साधन नहीं होते, बल्कि वे हमारी संस्कृति, इतिहास और परंपराओं का भी प्रतीक होते हैं।
सरकार ने जिन स्थानों के नाम बदले हैं, वे अब भारतीय इतिहास के महान व्यक्तित्वों के नाम पर रखे गए हैं, जिससे लोगों में राष्ट्रीय गौरव की भावना प्रबल होगी। सरकार के इस फैसले पर प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ लोग इसे ऐतिहासिक भूलों को सुधारने की दिशा में सकारात्मक कदम मान रहे हैं, जबकि कुछ का मानना है कि नाम बदलने से विकास नहीं होगा, बल्कि सरकार को बुनियादी सुविधाओं पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
विपक्षी दलों ने इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि यह केवल राजनीति से प्रेरित निर्णय है, जबकि सरकार का कहना है कि यह कदम जनभावनाओं के अनुरूप और भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने के लिए लिया गया है।
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