Shashi Tharoor: कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने एक बार फिर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीति की सराहना की है और इसे लेकर उनके द्वारा दिए गए बयानों ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है।
थरूर का कहना है कि भारत की वर्तमान स्थिति ऐसी है कि वह रूस और यूक्रेन के बीच शांति स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की नेतृत्व क्षमता की सराहना करते हुए कहा कि भारत का प्रधानमंत्री वोलोदिमिर जेलेंस्की (यूक्रेन के राष्ट्रपति) और व्लादिमीर पुतिन (रूस के राष्ट्रपति) दोनों को गले लगा सकता है और भारत इन दोनों देशों में समान रूप से सम्मानित है।
यह बयान शशि थरूर के विदेश नीति पर विचारों का स्पष्ट संकेत है और यह उनके राजनीतिक दृष्टिकोण की दिशा को भी दर्शाता है।
भारत की कूटनीतिक सफलता
शशि थरूर ने कहा कि आज की वैश्विक स्थिति में भारत ने अपने कूटनीतिक संबंधों को इतना मजबूत कर लिया है कि वह रूस और यूक्रेन के बीच शांति स्थापित करने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग ले सकता है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भारत के पास वह कूटनीतिक ताकत है जो इन दोनों देशों को साथ लाकर शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकती है।
थरूर ने यह भी जोड़ा कि भारत की स्थिति विशेष रूप से इस कारण महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने में सफल रहा है। उनके अनुसार, भारत की स्थिति को ध्यान में रखते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे नेता हैं जो दोनों देशों के नेताओं के साथ अच्छे संबंध स्थापित करने और उनके बीच संवाद की प्रक्रिया को सुगम बनाने में सक्षम हैं।
शांति सैनिकों का प्रस्ताव
शशि थरूर ने यह भी संभावना जताई कि यदि रूस और यूक्रेन के बीच शांति स्थापित होती है, तो भारत शांति सैनिकों को भेजने के लिए तैयार हो सकता है। उनका मानना है कि रूस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह नाटो देशों से संबंधित यूरोपीय शांति सैनिकों को स्वीकार नहीं करेगा, जिससे यह संकेत मिलता है कि शांति सैनिकों के लिए यूरोपीय देशों के बाहर से देशों को योगदान देना होगा।
इस पर थरूर ने भारत का नाम लिया और कहा कि भारत शांति सैनिकों को भेजने के लिए तैयार हो सकता है, क्योंकि उसकी कूटनीतिक स्थिति और दोनों देशों में विश्वास बनाए रखना इसके लिए उपयुक्त बनाता है।
थरूर का खुद पर सुधार
तीन साल पहले शशि थरूर ने यूक्रेन के मामले में भारत के रुख की आलोचना की थी, लेकिन अब उन्होंने इस पर शर्मिंदगी व्यक्त की है। थरूर ने कहा कि 2022 में जब उन्होंने भारत के रुख की आलोचना की थी, तो अब वे उसे लेकर पछता रहे हैं।
थरूर का यह बयान उनके दृष्टिकोण में बदलाव को दर्शाता है, जो समय के साथ विकसित हुआ है। यह भी दर्शाता है कि थरूर कूटनीतिक मामलों में अपनी गलती को स्वीकार करने और अपने विचारों में सुधार करने के लिए तैयार हैं।
मोदी की तारीफ और भाजपा नेताओं से नजदीकी
शशि थरूर ने हाल के महीनों में कई मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की है। थरूर ने भाजपा के कई नेताओं के साथ अपने अच्छे संबंधों का भी इजहार किया है।
25 फरवरी को शशि थरूर ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के साथ अपनी एक सेल्फी साझा की थी, जिसमें ब्रिटेन के व्यापार और उद्योग मंत्री जोनाथन रेनॉल्ड्स भी नजर आ रहे थे। इस तस्वीर के साथ उन्होंने एक सकारात्मक टिप्पणी की थी, जो उनके और भाजपा नेताओं के बीच सहयोग और संवाद को दर्शाता है।
इसके अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मुलाकात की भी सराहना की और इसे भारत के राष्ट्रीय हित में एक सकारात्मक कदम बताया।
कांग्रेस में असमंजस की स्थिति
शशि थरूर के इन बयानों और गतिविधियों ने कांग्रेस पार्टी में असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है। फरवरी में राहुल गांधी से मुलाकात के दौरान थरूर ने शिकायत की थी कि पार्टी में उनकी भूमिका को लेकर उन्हें अनदेखा किया जा रहा है।
थरूर ने यह महसूस किया कि उन्हें संसद में महत्वपूर्ण बहसों में बोलने का अवसर नहीं मिल रहा है और पार्टी में उनके योगदान को नजरअंदाज किया जा रहा है।
हालांकि राहुल गांधी ने इस पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी और थरूर को महसूस हुआ कि इस मामले में राहुल गांधी कोई कदम उठाने के लिए तैयार नहीं हैं। वहीं एक बार फिर शशि थरूर का कांग्रेस से उनकी दूरी और भाजपा से नजदीकी की ओर इशारा कर रहा है।
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