भोपाल। प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता श्री रजनीश अग्रवाल ने कहा है कि प्रदेश की कमलनाथ सरकार भाजपा के निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ बदले की राजनीति कर रही है और उन्हें जानबूझकर परेशान करने की कोशिश कर रही है।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री रजनीश अग्रवाल ने कहा है कि कमलनाथ जी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार लोकतंत्र की मर्यादा को ताक पर रखकर लगातार चुने हुए जनप्रतिनिधियों पर दबाव बनाने और उन्हें परेशान करने की कोशिश कर रही है। श्री अग्रवाल ने कहा कि सरकार द्वारा स्थानीय निकायों तथा अन्य संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधियों को प्रताड़ित किया जा रहा है और उन्हें बदनाम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता और चुने हुए जनप्रतिनिधि किसी भी कीमत पर नहीं झुकने वाले नहीं हैं। वे जनता की अदालत में और कानून की अदालत में अपनी लड़ाई लड़ेंगे।
श्री अग्रवाल ने कहा कि भाजपा के जनप्रतिनिधियों के प्रति कांग्रेस सरकार की दुर्भावना की कलई अदालतों में खुल रही है। उन्होंने कहा कि छिंदवाड़ा की महापौर को प्रदेश सरकार द्वारा अकारण नोटिस दिया गया था। जब इस मामले को हाईकोर्ट में ले जाया गया, तो वहां सरकारी वकील को यह कहना पड़ा कि सरकार इस नोटिस पर कोई कार्रवाई नहीं करेगी। श्री अग्रवाल ने कहा कि मामला अभी अदालत में विचाराधीन है, लेकिन सरकारी वकील के कथन से स्पष्ट है कि सरकार ने नोटिस सिर्फ महापौर पर दबाव करने और उन्हें प्रताड़ित करने की मंशा से दिया था। उन्होंने कहा कि इससे पहले लघु वनोपज संघ के निर्वाचित अध्यक्ष मनोज कोरी को भी नोटिस देकर प्रताड़ित करने की कोशिश की गई थी। यह मामला भी जब हाईकोर्ट में पहुंचा, तो सरकार ने नोटिस को गलत बताया और उसे वापस लिए जाने की बात कही। श्री अग्रवाल ने कहा कि इन मामलों से स्पष्ट है कि कमलनाथ सरकार लोकतांत्रिक नियम, कानून और प्रक्रिया को ध्वस्त करके प्रदेश पर तानाशाही थोपना चाहती है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि कमलनाथ सरकार निर्वाचित जन प्रतिनिधियों का अपमान कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने छिंदवाड़ा में जनता के चुने हुए महापौर को दरकिनार कर नेता प्रतिपक्ष को चर्चा के लिए भोपाल बुलाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सभी महापौर भाजपा के हैं, ऐसे में क्या कमलनाथ सरकार सभी के साथ ऐसा ही अपमानजनक व्यवहार करेगी। श्री अग्रवाल ने पूछा कि सरकार का यह व्यवहार क्या लोकतांत्रिक मूल्यों की अवहेलना नहीं है ? क्या यह जनता द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधियों का अपमान नहीं है ?