MP Paddy Procurement Scam: मध्य प्रदेश में धान उपार्जन समितियों में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आया है। EOW की 25 टीमों ने एक साथ 12 जिलों में छापेमारी कर 150 से ज्यादा उपार्जन समितियों और 140 वेयरहाउस की जांच की। इस कार्रवाई में अब तक करीब 19,910 क्विंटल धान की हेराफेरी के सबूत मिले हैं, इससे सरकार को करीब 5 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
फर्जीवाड़े का तरीका: कागजों में धान, वेयरहाउस में भूसा
इस घोटाले को बेहद सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया। किसानों के नाम पर फर्जी रजिस्ट्रेशन किए गए और बिना धान खरीदे ही ई-उपार्जन पोर्टल पर धान की एंट्री कर दी गई। इसके बाद ट्रांसपोर्ट और वेयरहाउस के फर्जी रिकॉर्ड तैयार कर भुगतान लिया गया। सतना जिले के कनक वेयरहाउस में जब EOW की टीम पहुंची, तो वहां धान की जगह 535 क्विंटल भूसा भरा मिला। यह धान सेवा सहकारी समिति पिंडरा और हिरोंदी के नाम पर दर्ज था। सरकार से वेयरहाउस का किराया भी धान के नाम पर लिया जा रहा था।
12 जिलों में एक साथ छापा, 79 पदाधिकारियों पर गिरी गाज
EOW ने बालाघाट, जबलपुर, डिंडोरी, रीवा, सतना, मैहर, सागर, पन्ना, ग्वालियर, नर्मदापुरम, नरसिंहपुर और श्योपुर जिलों में छापे मारे। इन जिलों की कई उपार्जन समितियों और वेयरहाउस में गड़बड़ियों के साफ संकेत मिले हैं। EOW की टीमें दस्तावेजों की जांच और फर्जी धान एंट्री से जुड़े डेटा का गहराई से मिलान कर रही हैं।
इस घोटाले में अब तक 79 से अधिक समिति पदाधिकारियों की भूमिका सामने आई है। सभी पर वैधानिक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जांच में ट्रांसपोर्ट कंपनियों, वेयरहाउस प्रबंधकों और कुछ राइस मिल संचालकों की मिलीभगत भी सामने आई है।
आगे और बड़े खुलासों की संभावना
EOW की टीमें घोटाले की पूरी श्रृंखला की परतें खोलने में जुटी हैं। किसानों के नाम पर कैसे खेल खेला गया, भुगतान किसके खाते में गया और किस स्तर तक मिलीभगत है, इसकी पूरी जांच की जा रही है। माना जा रहा है कि इस कार्रवाई में और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं।
अभी तक का खुलासा: एक नजर में
- 12 जिलों में छापे
- 150 उपार्जन समितियों और 140 वेयरहाउस की जांच
- 5 करोड़ की हेराफेरी के प्रमाण
- 19,910 क्विंटल धान का गड़बड़झाला
- 79 से अधिक पदाधिकारियों पर कार्रवाई
- धान की जगह भूसा भरा मिला
किसानों के साथ धोखाधड़ी को लेकर विपक्ष हमलावर
EOW की इस बड़ी कार्रवाई के बाद प्रदेशभर की अन्य समितियों में भी खलबली मच गई है। जांच आगे बढ़ने के साथ और बड़े घोटाले उजागर होने की संभावना जताई जा रही है। इस मुद्दे पर कांग्रेस प्रवक्ता मिथुन अहिरवार ने पत्रकारवार्ता में कहा कि मध्य प्रदेश में किसानों के साथ धोखाधड़ी और व्यापक भ्रष्टाचार हो रहा है। अधिकारियों की मिलीभगत और सरकारी संरक्षण से किसानों के हक पर डाका डाला गया है। यह घोटाला कई सौ करोड़ रुपए का होने का संदेह है, लेकिन राज्य सरकार इसे दबाने का प्रयास कर रही है।
मिथुन अहिरवार ने कहा कि यह पहला अवसर नहीं है जब भाजपा सरकार के संरक्षण में इस तरह का घोटाला हुआ हो। परिवहन घोटाला, महाकाल लोक घोटाला, आदिवासी छात्रवृत्ति घोटाला और अब धान उपार्जन घोटाला, ये दर्शाते हैं कि मध्य प्रदेश भ्रष्टाचार का गढ़ बन चुका है। सच्चाई यह है कि भाजपा सरकार किसानों को ठगने का काम कर रही है। पहले तो समर्थन मूल्य पर धान खरीद में गड़बड़ी की गई और अब किसानों की उपज को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया गया। अगर इस घोटाले की निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो यह किसानों के साथ घोर अन्याय होगा।
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