नई दिल्ली। आखिरकार वह दिन आ गया, जिसकी प्रतीक्षा की जा रही थी। चंद्रयान-3 आज शाम चांद पर कदम रखने वाला है। ये बेहद रोमांच के क्षण हैं। इसरो के वैज्ञानिक उन अंतिम 19 मिनट को लेकर मंथन में जुटे हैं, जब लैंडर विक्रम की चांद की सतह पर साफ्ट लैंडिंग होने वाली है। भारत का चंद्रयान आज 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 04 मिनट पर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अपना पहला कदम रखने वाला है। रूस के लूना 25 के क्रैश होने के बाद अब पूरी दुनिया की निगाहें भारत के चंद्रयान-3 मिशन पर टिक गई हैं, इसरो के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इस बार चंद्रयान को चांद पर उतारने में किसी भी तरह की कोई गलती की गुंजाइश नहीं है।
इससे पहले इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने विक्रम की लैंडिंग को लेकर कहा था कि अगर चंद्रयान-3 में सबकुछ फेल हो जाता है, सेंसर काम करना बंद कर देते हैं और सबकुछ ठप हो जाता है तो भी लैंडर विक्रम चांद पर लैंड करने में सफल होगा बशर्ते एल्गोरिदम ठीक से काम करता रहे। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने बताया है कि अगर लैंड करने के दौरान विक्रम के दो इंजन काम करना बंद भी कर देते हैं, तब भी यह लैंड करने में सक्षम होगा। चंद्रयान-2 से चंद्रयान-3 में ऐसे कई बदलाव किए गए हैं, जिसके बाद माना जा रहा है कि इस बार भारत का मिशन कामयाब होगा। विक्रम लैंडर को चांद पर उतारने के लिए उसमें लगाए गए रोबोटिक लेग्स को और ज्यादा मजबूत किया गया है। रोबोटिक लेग्स को विक्रम लैंडर के पैर कहा जाए तो गलत नहीं होगा। इसकी मदद से ही विक्रम लैंडर चांद पर उतरेगा और उसके बाद इसके अंदर मौजूद प्रज्ञान रोवर उसमें से बाहर आएगा। इसरो का कहना है कि लैंडिंग के समय 3 मीटर प्रति सेकेंड की गति होने पर भी विक्रम लैंडर के लेग्स टूटेंगे नहीं। वह सेफ लैंडिंग करने में सफल रहेगा।
चंद्रयान-3 में चंद्रयान-2 से ज्यादा फ्यूल स्टोर किया गया है। ऐसे में अगर विक्रम लैंडर को उतरते समय सही जगह नहीं मिलेगी तो उसे वहां से हटाकर किसी दूसरी जगह पर उतारने के प्रयास किए जाएंगे। इस परियोजना से जुड़े वैज्ञानितों ने कहा अगर फ्यूल ज्यादा होगा तो इसे सही और सपाट जगह पर उतारने में किसी भी तरह की दिक्कत नहीं आनी चाहिए। चंद्रयान-3 को लेजर डॉपलर वेलोसिटी मीटर सेंसर से जोड़ा गया है। इसकी मदद से विक्रम लैंडर को चांद पर सही तरीके से उतारने में मदद मिलेगी। सेंसर चांद की सतह को कैमरे की मदद से चेक करेगा कि उस जगह पर विक्रम लैंडर को उतारना सही होगा या नहीं। इसके बाद जब सेंसर पूरी तरह से ओके कमांड देगा तभी विक्रम चांद की सतह पर उतारा जाएगा।
चांद पर पहुंचने से 19 मिनट पहले विक्रम लैंडर धरती से कमांड लेना बंद कर देगा। इसमें लगे सॉफ्टवेयर पूरी तरह से एक्टिव हो जाएंगे और सही जगह की तलाश करेंगे। सेंसर, कैमरे और एडवांस सॉफ्टवेयर की मदद से विक्रम लैंडर को सही जगह उतारने में मदद मिलेगी। उम्मीद है कि इस बार चंद्रयान-2 जैसी गलती दोबारा नहीं होगी और चंद्रयान-3 चांद पर सॉफ्ट लैंड कर पाएगा। विक्रम लैंडर को बेहतर तरीके से पावर जनरेशन के लिए एक्सटेंडेड सोलर पैनल लगाए गए हैं। इसकी मदद से प्रज्ञान रोवर को बेहतर तरीके से काम करने में मदद मिलेगी। चंद्रयान-3, 14 दिन के मिशन में चांद पर रहेगा। इस दौरान वो चांद की सतह की तस्वीरें भेजेगा। इस दौरान चंद्रयान 3 चांद के वातावरण, खनिज और मिट्टी से जुड़ी जानकारी देगा।
इसरो की ओर से जानकारी दी गई है कि विक्रम लैंडर चांद पर उतरने से 19 मिनट पहले इसरो से कमांड लेना बंद कर देगा। इसके बाद चंद्रयान खुद से उस जगह की तलाश करेगा, जिस जगह पर उसे लैंड करना है। विक्रम लैंडर में लगे सेंसर और कैमरे की मदद से उसे सही जगह तलाशने में मदद मिलेगी। चांद पर पहुंचने से 10 मीटर पहले सभी थ्रस्टर बंद हो जाएंगे, जिसके बाद विक्रम लैंड सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। चांद पर सही तरीके से लैंड करने के बाद विक्रम लैंडर जिस स्थिति में होगा उसी स्थिति में खड़ा रहेगा। कुछ देर बाद जब वहां पर धूल छंट जाएगी तब विक्रम लैंडर खुलेगा और उसके अंदर मौजूद प्रज्ञान रोवर धीरे-धीरे बाहर निकलेगा। इस प्रक्रिया में 3 घंटे से अधिक का समय लगेगा। इसके बाद प्रज्ञान निश्चिंत होकर चांद पर उतरेगा और अपना काम शुरू कर देगा।
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