Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, लेकिन इस बार राज्य की राजनीति में कुछ अलग नज़ारा है।
पहली बार ऐसा हुआ है जब न तो NDA और न ही INDIA गठबंधन ने किसी मुख्यमंत्री पद के चेहरे की घोषणा की है।
दोनों ही गठबंधन टिकट बंटवारे और सीट शेयरिंग में उलझे रहे। नॉमिनेशन की आखिरी तारीख तक कई दलों में खींचतान और नाराजगी बनी रही।
6 और 11 नवंबर को 2 फेस में मतदान
राज्य की 243 सदस्यीय विधानसभा के लिए दो चरणों में मतदान होगा। पहला चरण 6 नवंबर को 121 सीटों पर और दूसरा चरण 11 नवंबर को 122 सीटों पर होगा।
चुनाव आयोग के अनुसार, पहले फेज़ में 1,314 उम्मीदवारों ने नामांकन भरा, जिनमें से 300 से अधिक के पर्चे खारिज हो गए। वहीं, 61 उम्मीदवारों ने नाम वापस ले लिए। दूसरे चरण की अंतिम सूची 23 अक्टूबर तक जारी होगी।
INDIA गठबंधन में अंदरूनी फूट
INDIA गठबंधन के भीतर इस बार टिकट बंटवारे को लेकर भारी असंतोष दिखा।
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने नॉमिनेशन खत्म होने से 7 घंटे पहले ही अपने 143 उम्मीदवारों की सूची जारी की।
बिहार विधानसभा चुनाव-2025 के लिए राष्ट्रीय जनता दल द्वारा चयनित प्रत्याशियों की सूची।
सभी उम्मीदवारों को हार्दिक बधाई एवं विजय की अग्रिम शुभकामनाएं। #Bihar #RJD pic.twitter.com/QI7ckgoIQ6
— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) October 20, 2025
कांग्रेस, वामपंथी दल और मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) भी सीट शेयरिंग से संतुष्ट नहीं दिखीं।
कुल मिलाकर INDIA गठबंधन ने 243 सीटों पर 254 उम्मीदवार उतार दिए हैं — यानी 12 सीटों पर सहयोगी दल एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं।
महागठबंधन की सीट शेयरिंग का गणित
INDIA गठबंधन के भीतर सीट बंटवारे की स्थिति कुछ इस तरह रही —
- RJD: 143 सीटें
- कांग्रेस: 61 सीटें
- CPI(ML): 20 सीटें
- CPI: 9 सीटें
- CPI(M): 6 सीटें
- VIP (मुकेश सहनी): 15 सीटें
इस तरह कुल संख्या 254 पहुंच गई है। यह बिहार की राजनीति में पहली बार हुआ जब किसी गठबंधन के उम्मीदवार आपस में टकरा रहे हैं।
RJD का जातीय समीकरण: यादव-मुस्लिम पर फोकस
RJD ने इस बार भी जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर टिकट बांटे हैं।
पार्टी ने 51 यादव, 19 मुसलमान, 14 सवर्ण और 11 कुशवाहा प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है।
पिछले चुनाव में पार्टी ने 58 यादव उम्मीदवार उतारे थे।
कांग्रेस ने इस बार 61 सीटों पर अपने उम्मीदवार दिए हैं, जबकि पिछली बार उसे 66 सीटें मिली थीं।
CPI(ML) को पिछली बार मिले अच्छे प्रदर्शन के कारण इस बार 20 सीटें दी गईं।
VIP के INDIA में आने से NDA को झटका
मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) जो पिछली बार NDA में थी, इस बार INDIA गठबंधन का हिस्सा है।
इस कदम से निषाद वोट बैंक पर असर पड़ सकता है, जो परंपरागत रूप से NDA के पक्ष में जाता रहा है।
हालांकि, जिन 15 सीटों पर VIP ने उम्मीदवार उतारे हैं, उनमें से 2 पर RJD ने भी अपने प्रत्याशी उतार दिए — इससे गठबंधन में मतभेद और गहरे हो गए।
NDA में भी असंतुलन, BJP आगे-JDU पीछे
दूसरी ओर, NDA गठबंधन में भी समीकरण बदले हैं।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) अब भी NDA की सबसे बड़ी पार्टी बनी हुई है, लेकिन जेडीयू (JDU) की सीटें घटाई गई हैं ताकि शक्ति संतुलन भाजपा के पक्ष में रह सके।
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) यानी चिराग पासवान को इस बार 29 सीटें दी गई हैं।
हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) और राष्ट्रीय लोक जनता पार्टी (RLM) को भी सीमित सीटें मिली हैं।
NDA पिछले 20 सालों से सत्ता में है, लेकिन इस बार उसे एंटी-इनकंबेंसी का सामना करना पड़ रहा है।
महिलाओं को टिकट देने में RJD सबसे आगे
महिलाओं की भागीदारी के मामले में RJD इस बार सभी दलों से आगे रही। पार्टी ने 24 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है।
कांग्रेस ने 5, BJP और JDU ने 13-13, जबकि LJP (रामविलास) ने 6 महिलाओं को मैदान में उतारा है।
दिलचस्प बात यह है कि कई महिला उम्मीदवार किसी न किसी नेता की पत्नी या बेटी हैं।
74 पार्टियों की एंट्री, मैदान में मुकाबला त्रिकोणीय
इस बार बिहार चुनाव में 74 राजनीतिक दल मैदान में हैं — जो अपने आप में रिकॉर्ड है।
मुख्य मुकाबला NDA और INDIA गठबंधन के बीच है, लेकिन तीसरा मोर्चा भी मजबूत हो रहा है।
प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज और आम आदमी पार्टी (AAP) सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं। इससे मुकाबला त्रिकोणीय होता दिख रहा है।
पहली बार CM फेस तय नहीं, जनता में असमंजस
सबसे बड़ा राजनीतिक सरप्राइज़ यह है कि अब तक किसी भी गठबंधन ने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं किया है।
NDA की ओर से नीतीश कुमार का नाम तय नहीं हुआ है, जबकि INDIA गठबंधन में तेजस्वी यादव को लेकर सहमति नहीं बन पाई।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह “नो CM फेस स्ट्रेटेजी” दलों की अंदरूनी कमजोरियों को दर्शाती है।
बिहार का यह चुनाव अब केवल NDA बनाम INDIA की लड़ाई नहीं, बल्कि गठबंधनों के भीतर के असंतुलन की परीक्षा बन गया है।
एक तरफ NDA को सत्ता विरोधी लहर का डर है, तो दूसरी ओर INDIA गठबंधन को आपसी फूट से जूझना पड़ रहा है।
अब 6 और 11 नवंबर को मतदाता तय करेंगे कि बिहार की राजनीति में कौन-सा चेहरा आगे बढ़ेगा।
भले ही कोई CM फेस घोषित न हुआ हो, लेकिन मुकाबला बेहद रोचक और अप्रत्याशित बन गया है।
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