Leh Students Protest

Leh Students Protest

लद्दाख हिंसा में 4 की मौत, 70 से ज्यादा घायल: छात्रों की पुलिस से झड़प, BJP दफ्तर फूंका,

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Leh Students Protest: केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर बुधवार को लेह में छात्रों और पुलिस बल के बीच हिंसक झड़प हुई।

इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने भाजपा कार्यालय में आग लगा दी और कई वाहनों तथा सार्वजनिक संपत्तियों को क्षतिग्रस्त किया।

प्रदर्शन CRPF और पुलिस से टकराया, छात्रों ने पत्थरबाजी की और सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया।

यह प्रदर्शन प्रसिद्ध पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के समर्थन में किया गया, जो पिछले 15 दिनों से भूख हड़ताल पर थे।

विरोध प्रदर्शन के दौरान बिगड़ते हालात को देख उन्होंने 15 दिन बाद अपना उपवास तोड़ते हुए युवाओं से शांति बनाए रखने की अपील की।

सोनम वांगचुक ने साफ कहा कि किसी भी प्रकार की आगजनी या झड़प से आंदोलन की नैतिकता कमजोर होगी।

बंद और रैली, सड़कों पर उतरे लोग

प्रदर्शनकारियों ने वांगचुक के समर्थन में आज लद्दाख में बंद बुलाया।

बड़ी संख्या में लोग लेह की सड़कों पर उतरे और रैली निकाली।

यह रैली शांतिपूर्ण शुरुआत के बावजूद जल्द ही हिंसक हो गई।

क्योंकि प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच पत्थरबाजी हुई और कई वाहन और संपत्तियां जल गई।

बीजेपी कार्यालय में आग लगाने के बाद स्थिति नियंत्रण में लाई गई।

पुलिस ने स्थानीय लोगों और प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया।

इस हिंसक प्रदर्शन के बावजूद, वांगचुक और छात्रों का आंदोलन लगातार जारी है।

इसमें 4 लोगों की मौत हो गई और 70 से ज्यादा लोग घायल हैं।

2019 के बाद से लद्दाख में विरोध शुरू

सोनम वांगचुक और छात्रों का आंदोलन उस फैसले का प्रतिफल है जो 5 अगस्त 2019 को लिया गया।

उस दिन केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 और 35A हटा दिए, जिससे लद्दाख और जम्मू-कश्मीर दोनों को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया।

सरकार ने घोषणा की थी कि राज्य के हालात सामान्य होने पर लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा।

आर्टिकल 370 हटने के बाद लद्दाख और कारगिल के लोग राजनीतिक और संवैधानिक तौर पर असंतुष्ट महसूस करने लगे।

उन्हें लगा कि उनकी जमीन, नौकरियां और स्थानीय पहचान, जो पहले आर्टिकल 370 के तहत सुरक्षित थी, अब खतरे में है।

बीते दो साल में लद्दाख में कई बार विरोध-प्रदर्शन हुए, जिसमें स्थानीय लोगों और छात्रों ने लगातार राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा की मांग की।

छात्रों की चार मुख्य मांगें

छात्रों ने अपनी 4 मुख्य मांगों को स्पष्ट किया –

1. पूर्ण राज्य का दर्जा: लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश से पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए।

2. संविधान की छठी अनुसूची: लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए ताकि आदिवासी और स्थानीय जनजातियों के अधिकार सुरक्षित रहें।

3. दो लोकसभा सीटें: वर्तमान में लद्दाख के लिए केवल एक लोकसभा सीट है। छात्रों की मांग है कि कारगिल और लेह के लिए अलग-अलग लोकसभा सीटें बनाई जाएं।

4. स्थानीय भर्ती: सरकारी नौकरियों में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाए, ताकि रोजगार के अवसर स्थानीय लोगों तक ही सीमित रहें।

इस मांग को लेकर अगली बैठक 6 अक्टूबर को दिल्ली में होने वाली है, जिसमें छात्रों और वांगचुक की मांगों पर चर्चा की जाएगी।

यह बैठक लद्दाख के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि यहां के लोग राजनीतिक और संवैधानिक पहचान की सुरक्षा चाहते हैं।

पूर्व में लद्दाख में कुल 4 विधानसभा सीटें थीं, लेकिन केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद विधानसभा समाप्त कर दी गई। अब स्थानीय लोग विधानसभा और चुनाव की मांग कर रहे हैं।

उनका तर्क है कि पूर्ण राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के तहत विशेष अधिकार उन्हें पहले जैसी पहचान और संसाधन सुरक्षा प्रदान करेंगे।

लद्दाख के लोग चाहते हैं कि उन्हें उनकी राजनीतिक पहचान, जमीन और रोजगार में पहले जैसी सुरक्षा मिले।

राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करना उनके लंबे समय से प्रतीक्षित अधिकारों की पूर्ति माना जा रहा है।

 

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