Delhi Judge Yashwant Varma

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जस्टिस वर्मा के खिलाफ लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव मंजूर, स्पीकर ने बनाई 3 सदस्यीय जांच कमेटी

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Delhi Judge Yashwant Varma: कैश कांड मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ कार्रवाई तेज हो गई है।

संसद के मॉनसून सत्र के 17वें दिन लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।

लोकसभा स्पीकर ने सदन को बताया कि उन्हें यह महाभियोग प्रस्ताव केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और विपक्ष के नेता समेत कुल 146 सांसदों के हस्ताक्षर के साथ प्राप्त हुआ है।

इस प्रस्ताव में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को उनके पद से हटाने की मांग की गई है।

स्पीकर ने कहा कि प्रस्ताव नियमों के अनुरूप है, इसलिए मैंने इसे मंजूरी दी और जांच के लिए कमेटी का गठन किया है।

जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी का गठन

स्पीकर ओम बिरला ने जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है।

इस कमेटी में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के 1-1 जज और एक कानूनविद को शामिल किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अरविंद कुमार, मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस मनिंदर मोहन श्रीवास्तव और कर्नाटक हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील वी.बी आचार्य इस कमेटी का हिस्सा हैं।

पहले तीन सदस्यीय कमेटी जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की जांच करेगी और एक रिपोर्ट तैयार कर लोकसभा स्पीकर को सौंपेगी।

इसी रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी और जांच समिति की रिपोर्ट आने तक यह महाभियोग प्रस्ताव लंबित रहेगा।

बता दें जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की यह प्रक्रिया संसदीय और न्यायिक दोनों स्तरों पर चलेगी।

रिपोर्ट के आधार पर सदन में मतदान होगा। महाभियोग पारित होने के लिए दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है।

अगर आरोप साबित होते हैं और प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद जस्टिस वर्मा को पद से हटाया जा सकता है।

भारत के न्यायिक इतिहास में महाभियोग के उदाहरण बेहद कम हैं, जिससे यह मामला कानूनी और राजनीतिक दोनों दृष्टिकोण से अहम बन गया है।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने भेजा था प्रस्ताव

जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव उनके खिलाफ कथित कैश कांड से जुड़े कदाचार के आरोपों के आधार पर लाया गया है।

हालांकि, इस मामले में विस्तृत जानकारी और आरोपों के तथ्य जांच पूरी होने के बाद ही सामने आएंगे।

इससे पहले जस्टिस वर्मा को पद से हटाने का प्रस्ताव तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भेजा था।

इसके बाद जुलाई में लोकसभा में उन्हें पद से हटाने के लिए महाभियोग के प्रस्ताव पर चर्चा हुई।

वहीं हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने इन-हाउस जांच रिपोर्ट को चुनौती दी थी।

इस रिपोर्ट में उनके पद से हटाने की सिफारिश की गई थी।

बता दें यह मामला उस समय सुर्खियों में आया था जब इस साल की शुरुआत में जस्टिस वर्मा के आवास से बड़ी मात्रा में नकदी बरामद की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने कहा कि इन-हाउस कमेटी का गठन और जांच प्रक्रिया में कोई गैरकानूनी पहलू नहीं पाया गया।

कोर्ट ने साफ किया कि कमेटी की कार्यवाही संविधान के दायरे में रही है

ये खबर भी पढ़ें – जस्टिस वर्मा को सुप्रीम कोर्ट से झटका: अब बचे हैं सिर्फ 2 रास्ते, इस्तीफा सौंप दें या महाभियोग का सामना करें

बिहार वोटर लिस्ट रिवीजन पर हंगामा

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग शुरू करने के ऐलान के बाद लोकसभा में लिस्टेड बिजनेस लिए गए।

इस दौरान विपक्षी सदस्य वेल में आ गए बिहार वोटर लिस्ट रिवीजन के मूुद्दे पर हंगामा शुरू कर दिया है।

विपक्ष के जोरदार हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही शाम तीन बजे तक के लिए स्थगित हो गई है।

वहीं, उपसभापति हरिवंश ने आसन से राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

इससे पहले विपक्षी दलों ने बिहार वोटर लिस्ट संशोधन (SIR) के मुद्दे पर जोरदार हंगामा शुरू कर दिया।

मिंता देवी- 124 साल की फर्स्ट टाइम वोटर

विपक्ष का आरोप है कि बिहार चुनाव आयोग की वोटर लिस्ट में गंभीर गड़बड़ियां हैं।

इसमें से एक मामला ‘मिंता देवी’ नाम की महिला का है, जिन्हें 124 साल की उम्र में पहली बार वोटर लिस्ट में शामिल किया गया है।

प्रियंका गांधी समेत इंडिया ब्लॉक के कई सांसद संसद भवन के मकर द्वार पर मिंता देवी की तस्वीर और नाम वाली टी-शर्ट पहनकर पहुंचे।

उन्होंने आरोप लगाया कि वोटर लिस्ट में फर्जी नाम और आयु विवरण जोड़े जा रहे हैं, जिससे चुनाव की पारदर्शिता खतरे में है।

विपक्ष ने इस मुद्दे पर संसद में चर्चा की मांग की, लेकिन सरकार की ओर से इसे सूचीबद्ध कार्यसूची में शामिल नहीं किया गया।

बता दें वोटर लिस्ट विवाद को लेकर विपक्ष सोमवार को भी आक्रामक रहा था।

करीब 300 सांसदों ने संसद से चुनाव आयोग कार्यालय तक मार्च निकाला था, जिसमें राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और अखिलेश यादव जैसे बड़े नेता शामिल थे।

मार्च के दौरान इन नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था, हालांकि दो घंटे बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।

सोमवार को हंगामे के बीच बिना बहस के लोकसभा और राज्यसभा में 8 विधेयक पास कर दिए गए थे।

 

 

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