Mumbai Train Blast Case: बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2006 मुंबई ट्रेन सीरियल ब्लास्ट केस में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है।
मुंबई की लोकल ट्रेनों में 11 जुलाई को हुए सिलसिलेवार धमाकों के मामले में सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया गया है।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष यानी सरकारी वकील आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत पेश करने में नाकाम रहे हैं।
केस की सुनवाई कर रही अदालत ने कहा कि यदि ये आरोपी किसी अन्य केस में वॉन्टेड नहीं हैं, तो उन्हें तत्काल जेल से रिहा किया जाए।
हाईकोर्ट ने कहा कि जिस तरीके से जांच हुई उसमें कई गंभीर खामियां थीं, जो इन आरोपियों को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
क्या हुआ था 11 जुलाई 2006 को?
यह घटना 11 जुलाई 2006 को शाम 6 बजकर 24 मिनट से 6 बजकर 35 मिनट के बीच हुई थी।
मुंबई की वेस्टर्न लाइन की 7 लोकल ट्रेनों के फर्स्ट क्लास डिब्बों में एक के बाद एक धमाके हुए थे।
ये धमाके खार, बांद्रा, जोगेश्वरी, माहिम, बोरीवली, माटुंगा और मीरा रोड स्टेशनों के पास हुए।
ये सभी ब्लास्ट मुंबई की पश्चिम रेलवे लाइन लोकल ट्रेनों के फर्स्ट क्लास कम्पार्टमेंट में करवाए गए थे।
टाइमर सेट कर ये बम ट्रेनों में रखे गए थे, जिनमें में कुल 189 लोगों की जान गई थी और 824 लोग घायल हुए थे।
इन बम धमाकों को प्रेशर कुकर में RDX, अमोनियम नाइट्रेट, फ्यूल ऑयल और कीलों के इस्तेमाल से अंजाम दिया गया था।
धमाकों की साजिश पाक में रची गई थी
मुंबई पुलिस और एटीएस की जांच के अनुसार, इन धमाकों की साजिश पाकिस्तान के बहावलपुर में रची गई थी।
मार्च 2006 में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी आजम चीमा ने सिमी और लश्कर के नेताओं के साथ बैठक कर इस प्लान को अंतिम रूप दिया।
मई 2006 में करीब 50 युवकों को ट्रेनिंग के लिए भेजा गया, जिन्हें बम बनाने और हथियार चलाने का प्रशिक्षण मिला।
इन युवकों को भारत में भेजकर ट्रेन ब्लास्ट करवाया गया।
धमाकों के बाद एंटी टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) ने जुलाई से अक्टूबर 2006 के बीच 30 लोगों को आरोपी बनाया, जिनमें से 13 पाकिस्तानी नागरिक थे।
नवंबर 2006 में ही आरोपियों ने कोर्ट में लिखित रूप से बताया कि उनसे जबरन इकबालिया बयान लिए गए हैं।
2015 में मकोका कोर्ट ने 5 को फांसी, 7 को उम्रकैद और 1 को बरी किया।
कौन कौन थे आरोपी?
- कमाल अहमद अंसारी (अब मृत)
- मोहम्मद फैसल अताउर रहमान शेख
- एहतशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी
- नावेद हुसैन खान
- आसिफ खान शामिल
- तनवीर अहमद अंसारी
- मोहम्मद माजिद मोहम्मद शफी
- शेख मोहम्मद अली आलम शेख
- मोहम्मद साजिद मरगुब अंसारी
- मुज़म्मिल अताउर रहमान शेख
- सुहैल महमूद शेख
- जमीर अहमद लतीउर रहमान शेख
किन आधारों पर बरी हुए आरोपी?
इस केस में 2015 में स्पेशल मकोका कोर्ट ने 5 आरोपियों को फांसी और 7 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
2016 में आरोपियों ने इस फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
करीब 9 साल की लंबी सुनवाई के बाद 2025 में हाईकोर्ट ने सभी को बरी कर दिया।
कोर्ट के अनुसार अभियोजन पक्ष अपराध में इस्तेमाल विस्फोटकों के स्त्रोत और उपयोग की कड़ी साबित नहीं कर सका।
सबूतों की सीलिंग, संग्रहण और प्रस्तुतिकरण में गंभीर खामियां थीं। कई गवाहों के बयान विरोधाभासी पाए गए।
आरोपियों के बयान जबरन लिए गए प्रतीत होते हैं, जिन पर कानूनन भरोसा नहीं किया जा सकता।
फॉरेंसिक जांच और विस्फोटक विश्लेषण भी अधूरे और अस्पष्ट थे।
कोर्ट ने कहा कि यह मानना मुश्किल है कि इन आरोपियों ने ही ये अपराध किया है। इसलिए उन्हें दोषमुक्त किया जाता है।
19 साल बाद कोई दोषी नहीं
इस फैसले के बाद एक ओर जहां आरोपी पक्ष और उनके परिवारों ने राहत की सांस ली है।
वहीं पीड़ित परिवारों के लिए यह फैसला निराशाजनक साबित हुआ है।
189 जानें गईं, सैकड़ों घायल हुए, लेकिन 19 साल बाद कोई दोषी साबित नहीं हुआ।
यह भारतीय न्याय व्यवस्था और जांच एजेंसियों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
अब महाराष्ट्र सरकार या जांच एजेंसियां इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती हैं।
यदि ऐसा होता है, तो इस केस का अंतिम निर्णय शीर्ष अदालत में होगा।
वहीं, बरी किए गए आरोपी अब तभी जेल में रहेंगे अगर उन पर कोई अन्य केस लंबित है या वे किसी और मामले में वॉन्टेड हैं।
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