14 KG Dry Fruits: मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में सरकारी धन के दुरुपयोग का एक और हैरान करने वाला मामला सामने आया है।
इस बार भ्रष्टाचार का केंद्र बना है जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत गोहपारू जनपद की भदवाही ग्राम पंचायत में 25 मई 2025 को आयोजित एक घंटे का जल चौपाल कार्यक्रम।
कार्यक्रम के नाम पर सरकारी रिकॉर्ड में ऐसा नाश्ता परोसा गया जो शायद किसी शादी समारोह में भी नहीं दिखे।
आरोप है कि इस एक घंटे के आयोजन में अफसरों के लिए 14 किलो ड्राय फ्रूट्स, 6 लीटर दूध, 5 किलो चीनी, 30 किलो नमकीन, 20 पैकेट बिस्कुट और 100 रसगुल्लों का इंतजाम किया गया।
कुल खर्च 40 हजार रुपये से अधिक बताया जा रहा है। यह जानकारी तब सामने आई जब इन खर्चों के बिल सोशल मीडिया पर वायरल हुए।
खाई खिचड़ी और पूड़ी-सब्जी, बताया काजू-बादाम
ग्राम पंचायत भदवाही में जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत जिला स्तरीय बोरी बंधान कार्यक्रम आयोजित किया गया था।
इसमें कलेक्टर डॉ. केदार सिंह, जिला पंचायत सीईओ नरेंद्र सिंह, एसडीएम प्रगति वर्मा और कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए थे।
कार्यक्रम का उद्देश्य नाले में पानी रोकना और ग्रामीणों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करना था।
लेकिन चर्चा का विषय बन गया नाश्ते के नाम पर किया गया फर्जी खर्च।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि कार्यक्रम में खिचड़ी, पूड़ी और सब्जी परोसी गई थी।
लेकिन बिलों में 5 किलो काजू, 6 किलो बादाम और 3 किलो किशमिश का उल्लेख किया गया है।
इसके अलावा 6 लीटर दूध में 5 किलो चीनी डालकर चाय बनाई गई थी।
कुल मिलाकर 19,010 रुपये के एक ही बिल में इतना सारा ‘शाही नाश्ता’ दिखाया गया।
काजू के दो रेट, रसगुल्ले का भी दाम बढ़ाया
बिलों की गहराई से जांच करने पर और भी चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
एक ही दिन, यानी 25 मई को अलग-अलग दुकानों से काजू खरीदे गए।
एक बिल में काजू की कीमत 1,000 रुपये प्रति किलो दिखाई गई, जबकि दूसरे में वही काजू 600 रुपये प्रति किलो में खरीदा गया।
इसके अलावा 10 रुपये वाले 100 रसगुल्ले के लिए 1,000 रुपये चार्ज कर लिए गए।
इन बिलों में गोविंद गुप्ता किराना स्टोर, ग्राम भर्री और सुरेश तिवारी टी स्टॉल, चुहीरी के नाम सामने आए हैं।
इसी बिल में नमकीन, बिस्कुट और चाय के सामान की खरीद भी दर्शाई गई है।
आरोप है कि इन बिलों के जरिए सरकारी धन की लूट को वैधता देने की कोशिश की गई।
पंचायत का जवाब- “बिलों की जांच करेंगे”
जैसे ही यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिला पंचायत के प्रभारी सीईओ एमपी सिंह ने सफाई देते हुए कहा, हम लोग आयोजन में मौजूद थे, लेकिन वहां इतना ड्राय फ्रूट नहीं था।
बिलों की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। उनका यह बयान खुद ही कई सवाल खड़े करता है, क्योंकि अगर आयोजन में वे खुद मौजूद थे, तो फिर इन फर्जी बिलों को पहले क्यों नहीं पकड़ा गया?
विपक्ष का हमला: घोटाला संवर्धन अभियान चल रहा है
इस घोटाले को लेकर विपक्ष ने राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला है।
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, मध्यप्रदेश में जल संरक्षण के नाम पर अब घोटाला संवर्धन अभियान चलाया जा रहा है।
50 लोगों के एक घंटे के कार्यक्रम में 40 हजार रुपये का जलपान बिल—ये कैसा सुशासन है?
उन्होंने आगे लिखा कि प्रदेश में जनता के टैक्स की गाढ़ी कमाई को दीमक की तरह चाटा जा रहा है।
मध्यप्रदेश में भाजपा राज में "गंगा संवर्धन" नहीं बल्कि "घोटाला संवर्धन अभियान" चल रहा है!
शहडोल के भदवाही गाँव में एक घंटे के कार्यक्रम में—
▪️5 किलो काजू
▪️3 किलो किशमिश
▪️5 किलो बादाम
▪️30 किलो नमकीन
▪️50 प्लेट पूरी-सब्ज़ी
▪️100 रसगुल्ले
▪️6 लीटर दूध
▪️10 हज़ार का किराना… pic.twitter.com/WNAZFQMkPh— Umang Singhar (@UmangSinghar) July 11, 2025
पहले ही सामने आया था शिक्षा विभाग में पेंट घोटाला
शहडोल में इससे पहले भी शिक्षा विभाग में बड़ा घोटाला सामने आ चुका है।
ब्यौहारी क्षेत्र के दो सरकारी स्कूलों में 24 लीटर ऑयल पेंट से रंगाई के लिए 3.38 लाख रुपये खर्च दिखाया गया।
इस पेंट को दीवारों पर पोतने के लिए 443 मजदूर और 215 मिस्त्रियों को दिखाया गया था।
पेंट की कीमत जहां महज 4,704 रुपये थी, वहीं रंगाई पर भारी-भरकम खर्च दिखाया गया।
इस मामले में शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप ने सकंदी हाई स्कूल के प्राचार्य को निलंबित कर दिया है और ठेकेदार सुधाकर कंस्ट्रक्शन की जांच के निर्देश दिए हैं।

भ्रष्टाचार की जड़ों में अफसरशाही
एक ही जिले में बार-बार सरकारी योजनाओं और आयोजनों के नाम पर फर्जी बिल बनाकर सरकारी धन को चूना लगाया जा रहा है।
चाहे वह शिक्षा विभाग हो या ग्रामीण विकास योजना — हर जगह एक ही पैटर्न दिख रहा है: वास्तविकता में मामूली काम, लेकिन बिलों में बड़ा खर्च।
भदवाही ग्राम पंचायत के इस जल चौपाल कार्यक्रम का मकसद गांव में जल संरक्षण के लिए जनजागरूकता पैदा करना था।
लेकिन, यह कार्यक्रम खुद एक मिसाल बन गया कि कैसे सरकारी योजनाओं की आड़ में अफसरशाही और पंचायत तंत्र मिलकर सरकारी खजाने को लूट रहे हैं।
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि इस आयोजन के लिए कोई विशेष बजट नहीं आया था और यह अभियान जनसहयोग से चलाया जा रहा था।
लेकिन जब खर्च के बिल पंचायत से पास करवा लिए गए और 19 हजार रुपये का भुगतान भी हो गया, तो सवाल यह उठता है कि किसकी अनुमति से यह राशि खर्च की गई और कौन इसका जिम्मेदार है?
फर्जी बिलों के जरिए जनता के पैसों की बंदरबांट
इस मामले के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लोग सरकार और अफसरों की जमकर आलोचना कर रहे हैं।
लोगों का कहना है कि जल संरक्षण जैसे गंभीर विषय पर भी भ्रष्टाचार किया जा रहा है, तो बाकी योजनाओं की क्या स्थिति होगी?
किसी ने लिखा, 14 किलो ड्राय फ्रूट एक घंटे में खा गए? अफसर हैं या मशीन? वहीं किसी ने कहा, 5 किलो चीनी 6 लीटर दूध में? ये चाय थी या रस?
बहरहाल, शहडोल जिले के ये दोनों घोटाले पेंट और नाश्ता साफ दर्शाते हैं कि सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में कैसे खानापूर्ति होती है और किस तरह से फर्जी बिलों के जरिए जनता के पैसों की बंदरबांट की जाती है।
इस तरह के मामले केवल एक जिले तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह पूरे सिस्टम की कमजोरी और जवाबदेही की कमी को उजागर करते हैं।
जरूरत है कि इन मामलों की उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि सरकारी धन का दुरुपयोग रोका जा सके और जनता का भरोसा प्रशासन पर बना रहे।
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