Old Vehicles Fuel Ban

Old Vehicles Fuel Ban

दिल्ली सहित 5 शहरों में पुराने वाहनों को नहीं मिलेगा पेट्रोल-डीजल, नए नियम 1 नवंबर से होंगे लागू

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Old Vehicles Fuel Ban: दिल्ली समेत एनसीआर के कई शहरों में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए सरकार और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने पुराने वाहनों पर बड़ा फैसला लिया है।

अब दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा, गाजियाबाद और सोनीपत में 10 साल पुराने डीजल वाहनों और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को पेट्रोल-डीजल नहीं मिलेगा।

यह आदेश अब 1 नवंबर 2025 से लागू होगा। पहले इसे 1 जुलाई से लागू किया जाना था, लेकिन फिलहाल 31 अक्टूबर तक राहत दी गई है।

दिल्ली सरकार ने क्यों मांगी मोहलत?

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने 3 जुलाई को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग से अपील की थी कि इस फैसले को कुछ समय के लिए टाल दिया जाए।

उन्होंने तर्क दिया कि आम लोगों को इसके लिए तैयार होने का समय मिलना चाहिए।

इसके बाद आयोग ने ईंधन प्रतिबंध को 4 महीने आगे बढ़ाने का निर्णय लिया और अब यह आदेश 1 नवंबर से लागू होगा।

दिल्ली सरकार ने मार्च में ही इस प्रतिबंध की घोषणा कर दी थी और बताया था कि पेट्रोल पंपों पर एक विशेष उपकरण (गैजेट) लगाया जाएगा जो 15 साल से पुराने पेट्रोल और 10 साल से पुराने डीजल वाहनों की पहचान कर लेगा।

ऐसे वाहनों को ईंधन देने से इनकार कर दिया जाएगा।

Fuel restrictions on overage vehicles
Fuel restrictions on overage vehicles

जानें क्यों लिया गया यह फैसला?

यह फैसला मंगलवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की बैठक में लिया गया।

इस आदेश के मुताबिक, जो वाहन ‘एंड-ऑफ-लाइफ’ (EOL) श्रेणी में आते हैं, उन्हें अब पेट्रोल पंपों पर ईंधन नहीं दिया जाएगा।

इस फैसले के पीछे मुख्य उद्देश्य बिगड़ती वायु गुणवत्ता को नियंत्रित करना है।

दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति दिनों-दिन गंभीर होती जा रही है।

नवंबर 2013 में दिल्ली में औसतन एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 287 था, जो नवंबर 2024 में बढ़कर 500 से भी ज्यादा पहुंच गया।

प्रदूषण से ब्रेन तक हो रहा असर

विशेषज्ञों के अनुसार, यह स्तर इतना खतरनाक है कि यह इंसान के लिए रोज 38 सिगरेट पीने जितना हानिकारक है।

जब हम सांस लेते हैं, तो हवा में मौजूद खतरनाक कण—जैसे PM 2.5—हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।

ये हमारे फेफड़ों के जरिए रक्त प्रवाह में शामिल होकर सांस संबंधी बीमारियां, खांसी, आंखों में जलन और यहां तक कि कैंसर और ब्रेन स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।

नई रिसर्च से यह बात सामने आई है कि वायु प्रदूषण केवल श्वसन तंत्र को ही नहीं, बल्कि हमारे दिमाग को भी प्रभावित करता है। यह खतरा धूम्रपान से भी अधिक गंभीर बताया गया है।

‘लैंसेट न्यूरोलॉजी’ जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक, दुनिया भर में होने वाली Subarachnoid Haemorrhage (SAH) से जुड़ी लगभग 14% मौतों और विकलांगता के लिए वायु प्रदूषण जिम्मेदार है।

क्या है एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI)?

AQI यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स एक ऐसा सूचकांक है, जिससे यह पता चलता है कि किसी जगह की हवा कितनी स्वच्छ या प्रदूषित है।

यह मुख्यतः पांच तरह के प्रदूषकों को मापता है—PM 2.5, ग्राउंड-लेवल ओजोन, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड।

AQI जितना ज्यादा होता है, हवा उतनी ही खराब मानी जाती है।

सामान्य तौर पर 0-50 AQI को ‘अच्छा’, 51-100 को ‘संतोषजनक’, 101-200 को ‘मध्यम’, 201-300 को ‘खराब’, 301-400 को ‘बहुत खराब’ और 401 से ऊपर AQI को ‘गंभीर’ श्रेणी में रखा जाता है।

वाहन प्रदूषण के आंकड़े क्या कहते हैं?

2023-24 के इकोनॉमिक सर्वे के अनुसार, दिल्ली में लगभग 80 लाख रजिस्टर्ड वाहन हैं। इनसे निकलने वाले प्रदूषक तत्व, खासकर PM 2.5, दिल्ली की वायु को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहे हैं।

आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में PM 2.5 के कुल उत्सर्जन का 47% हिस्सा वाहनों से आता है। इसके अलावा, वाहनों से होने वाला कुल वायु प्रदूषण 12% तक बढ़ा है।

वाहन सिर्फ गैसें नहीं छोड़ते, बल्कि ये शहर की सड़कों पर उड़ती धूल और धुएं को और ज्यादा फैलाते हैं।

इसके चलते कई बार AQI खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है, जिससे बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों को ज्यादा परेशानी होती है।

 

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