Trump Tariff Deadline: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के 14 देशों पर टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी।
ये टैरिफ 1 अगस्त 2025 से प्रभावी होंगे।
जिसके तहत जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों से आने वाले उत्पादों पर 25% शुल्क लगेगा।
जबकि म्यांमार जैसे देशों पर 40% तक शुल्क लागू किया जाएगा।
इस कदम का चीन ने कड़ा विरोध किया है। इस घोषणा के बाद दुनियाभर के शेयर और बॉन्ड बाजारों में उथल-पुथल मच गई है।
फिलहाल, भारत को इस सूची से बाहर रखा गया है।
लेकिन अमेरिका के साथ निर्धारित समयसीमा तक ट्रेड डील नहीं हो पाती, तो भारत पर भी 26% रेसिप्रोकल टैरिफ लागू हो सकता है।
जानें किन देशों पर टैरिफ लगाया गया?
ट्रंप प्रशासन द्वारा घोषित टैरिफ की सूची में जापान, दक्षिण कोरिया, म्यांमार, बांग्लादेश समेत 14 देश शामिल हैं।
इनमें कुछ पर 25% और कुछ पर 30% से 40% तक का टैरिफ लगाया गया है।
अमेरिका ने दो देशों ब्रिटेन और वियतनाम के साथ अब तक प्रारंभिक डील की है।
वियतनाम पर 20% और ब्रिटेन पर 10% टैरिफ लगाया गया है, जबकि दोनों देशों ने अमेरिकी सामानों पर 0% शुल्क रखा है।
अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक ट्रंप इस हफ्ते कई देशों के साथ ट्रेड डील का ऐलान कर सकते हैं।
भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील बहुत करीब पहुंच चुकी है।
यूरोपीय यूनियन भी अमेरिका के साथ समझौता करने के काफी नजदीक है।
इसके साथ ही पाकिस्तान, ताइवान और स्विटजरलैंड जैसे दूसरे देश में अमेरिका के साथ ट्रेड डील करने का रास्ता तलाश रहे हैं।
वहीं जापान और साउथ कोरिया अमेरिका के करीबी साथी हैं, लेकिन उनके साथ अमेरिका की ट्रेड डील नहीं हो पाई।
अमेरिका के व्यापार संतुलन के लिए टैरिफ जरूरी
ट्रंप प्रशासन ने जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे-म्यांग को सबसे पहले पत्र भेजकर इस निर्णय की जानकारी दी।
राष्ट्रपति ट्रंप ने इन नेताओं को स्पष्ट किया कि अमेरिका और इन देशों के बीच व्यापार संतुलन बुरी तरह बिगड़ा हुआ है और इसे ठीक करने के लिए टैरिफ जरूरी हैं।
बता दें पहले यह घोषणा 9 जुलाई को की जानी थी।
लेकिन, दुनियाभर में संभावित अस्थिरता को देखते हुए इसे टाल दिया गया।
इसके बाद ट्रंप ने देशों को 1 अगस्त तक नई डील करने का मौका दिया है।
भारत को मिली राहत, लेकिन डील जरूरी
भारत इस टैरिफ सूची में शामिल नहीं है, लेकिन यह राहत अस्थायी है। अ
मेरिका ने भारत को 1 अगस्त तक का समय दिया है कि वह ट्रेड डील को अंतिम रूप दे दे, वरना भारत पर 26% रेसिप्रोकल टैरिफ लागू कर दिया जाएगा।
वर्तमान में भारत और अमेरिका के बीच वॉशिंगटन में द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर बातचीत जारी है।
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में भारतीय टीम अमेरिका के साथ बातचीत कर रही है।
व्हाइट हाउस में इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू की मेजबानी के दौरान ट्रंप ने कहा था कि भारत और पाकिस्तान एक बड़ी जंग की तरफ बढ़ रहे थे।
हमने दोनों देशों को साफ-साफ कहा कि यदि आप आपस में लड़ेंगे, तो अमेरिका आपके साथ कोई व्यापार नहीं करेगा। इससे टकराव रुका।
डील से भारत को क्या फायदा होगा?
यदि भारत और अमेरिका के बीच यह मिनी ट्रेड डील तय समय में हो जाती है, तो इसके कई फायदे हो सकते हैं:
- भारतीय उत्पादों को अमेरिकी बाजार में बढ़त मिलेगी – विशेष रूप से टेक्सटाइल, फार्मा और ज्वेलरी जैसे उत्पादों को अमेरिका में सस्ते टैरिफ पर बेचा जा सकेगा।
- निर्यात बढ़ेगा – 26% रेसिप्रोकल टैरिफ हटने से भारतीय निर्यात प्रतिस्पर्धी बनेंगे।
- 2030 तक व्यापार का लक्ष्य 500 अरब डॉलर – द्विपक्षीय व्यापार का यह लक्ष्य डील से और मजबूत होगा।
डील से अमेरिका को क्या फायदा होगा?
- प्रोडक्ट्स की एंट्री – पेकान नट्स, ब्लूबेरी और ऑटोमोबाइल जैसे अमेरिकी उत्पादों को भारत में सस्ते टैरिफ पर बाजार मिलेगा।
- चीन को काउंटर करने की रणनीति – भारत के साथ मजबूत रिश्ते एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की पकड़ को कमजोर करेंगे।
- फ्यूचर FTA की नींव – यह डील आगे चलकर एक पूर्ण फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की दिशा में पहला कदम साबित हो सकती है।
डील में कहां अटकी बातचीत?
बातचीत के दौरान कुछ मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई है:
- डेयरी और जीएम फसलों पर विरोध – अमेरिका चाहता है कि भारत जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलें और डेयरी उत्पाद बाजार में खोले, लेकिन भारत इसका विरोध कर रहा है।
- टैरिफ को लेकर मतभेद – भारत चाहता है कि अमेरिका 26% रेसिप्रोकल और 10% बेसलाइन टैरिफ दोनों हटाए, लेकिन अमेरिका 10% बेसलाइन टैरिफ बनाए रखना चाहता है।
- डेडलाइन का दबाव – ट्रम्प ने 9 जुलाई तक डील करने का समय दिया था। भारत ने साफ किया कि वह किसी दबाव में आकर फैसले नहीं करेगा।
डील का क्या होगा जियोपॉलिटिकल असर ?
- चीन के खिलाफ रणनीति मजबूत होगी – भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी चीन के विस्तारवादी रवैये के खिलाफ उपयोगी होगी।
- क्वाड को मजबूती – अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया मिलकर एशिया-पैसिफिक में चीन को संतुलित करने का प्रयास कर रहे हैं। यह डील उस दिशा में एक और कदम होगी।
- रूस से तेल व्यापार में राहत – अमेरिका रूस के साथ व्यापार करने वालों पर 500% टैरिफ की धमकी दे चुका है। भारत पर यह सीधा असर डाल सकता है, लेकिन इस डील से कुछ राहत संभव है।
अमेरिका का दावा- 90 देश तैयार, चीन ने जताया विरोध
अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा है कि अब तक 90 देश अमेरिका के साथ ट्रेड डील के लिए तैयार हैं।
हमारे मेलबॉक्स ऑफर्स से भर गए हैं। हमने 90 दिन में 90 डील्स की दिशा में काम किया है।
वहीं, दूसरी ओर चीन ने ट्रम्प की टैरिफ चेतावनी का कड़ा विरोध किया है।
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, ब्रिक्स एक सकारात्मक मंच है।
अमेरिका टैरिफ के नाम पर दबाव बना रहा है, जो अस्वीकार्य है।
चीन ने अमेरिका से चेतावनी बंद करने और बातचीत का रास्ता अपनाने को कहा है।
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