देवास के पीएचई के इंजीनियर के हथकंडे के आगे सीएम हेल्पलाइन भी हुई फेल

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पीएचईडी अधिकारियों पर झूठी जानकारी देने का

आरोप, एफआईआर दर्ज करने की मांग

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Wrong information case of CM Helpline-मध्यप्रदेश की प्रमुख जनशिकायत निवारण प्रणाली सीएम हेल्पलाइन की विश्वसनीयता एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। देवास जिले के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के दो वरिष्ठ अधिकारियों पर एक संस्था की शिकायत को जबरन फोर्स क्लोज कराने और झूठी जानकारी प्रस्तुत करने के गंभीर आरोप लगे हैं। इस पूरे मामले को उजागर करते हुए सेंटर फॉर रिसोर्सेज डेवलपमेंट स्ट्डीज की अध्यक्ष डॉ. नीता सिंह ने दोनों अधिकारियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने और विधिसम्मत कार्रवाई की मांग की है।

देवास के पीएचई के इंजीनियर के हथकंडे के आगे सीएम हेल्पलाइन भी हुई फेल-डॉ. सिंह ने बताया कि पीएचईडी विभाग ने उन्हें एक तकनीकी कार्य सौंपा था, जिसे उन्होंने समयबद्ध और नियमों के अनुसार पूर्ण कर लिया। उन्होंने विभाग को कार्य का अंतिम बिल प्रस्तुत किया, लेकिन कई महीनों के बाद भी उन्हें भुगतान नहीं किया गया। जब उन्होंने बार-बार अनुरोध के बावजूद कोई ठोस उत्तर नहीं पाया, तो उन्होंने 6 नवंबर 2024 को सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत क्रमांक 29647493 के अंतर्गत अपनी बात दर्ज कराई।

शिकायत बंद कराने के लिए तथ्यों की अनदेखी

डॉ. सिंह का आरोप है कि विभागीय अधिकारियों, सहायक यंत्री विजय सिंह रावत और कार्यपालन यंत्री अमित सिंह मीना ने हेल्पलाइन पोर्टल पर यह गलत जानकारी दर्ज करवा दी कि संबंधित कार्य अभी तक पूर्ण नहीं हुआ है। इस कथन के आधार पर शिकायत को “फोर्स क्लोज” कर दिया गया, यानी उसे बंद कर दिया गया।
लेकिन डॉ. सिंह ने इसके जवाब में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत विभागीय माप पुस्तिका (एमबी) की 268 पृष्ठों की सत्यापित प्रति प्राप्त की, जिसमें सभी कार्यों के पूर्ण होने के स्पष्ट विवरण मौजूद हैं। इस दस्तावेज में संबंधित अधिकारियों सहित विभागीय उपयंत्री के हस्ताक्षर भी दर्ज हैं, जो दर्शाते हैं कि काम पूरी तरह से संतोषजनक ढंग से संपन्न हो चुका है।

जनहित प्रणाली के दुरुपयोग का मामला उजागर

डॉ. नीता सिंह ने इसे केवल व्यक्तिगत हित का मामला न बताते हुए, व्यापक संदर्भ में उठाया है। उन्होंने कहा कि इस घटना से केवल एक संस्था को ही नहीं, बल्कि जन शिकायत निवारण प्रणाली की निष्पक्षता और पारदर्शिता को भी ठेस पहुँची है। उन्होंने चेताया कि यदि अधिकारीगण अपने प्रभाव का दुरुपयोग कर शिकायतों को झूठी रिपोर्टों के माध्यम से दबा सकते हैं, तो यह न केवल शासन की व्यवस्था के साथ विश्वासघात है, बल्कि अन्य नागरिकों और संस्थाओं के लिए भी घातक उदाहरण बन सकता है।

प्रशासन से पारदर्शी जांच और कठोर कार्रवाई की माँग

डॉ. सिंह ने देवास एसपी और राज्य सरकार से यह मांग की है कि इस पर मामले को गंभीरता से लेते हुए सीएम हेल्पलाइन नियमावली के उल्लंघन के लिए दोषी अधिकारियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई जाए और उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक तथा विधिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। उन्होंने आगे कहा, यह केवल आर्थिक अनियमितता नहीं है, बल्कि प्रशासनिक ईमानदारी और उत्तरदायित्व का भी प्रश्न है। यदि ऐसे मामलों में सख्ती से कार्यवाही नहीं की जाती, तो सरकारी तंत्र के प्रति जनता का विश्वास कमजोर पड़ेगा।
यह प्रकरण देवास जिले में ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में विभागीय पारदर्शिता, जवाबदेही और जन शिकायत निवारण प्रणाली की विश्वसनीयता को लेकर सवाल खड़े करता है।

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