MP Cabinet Meeting

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मोहन सरकार किसानों को देगी राहत राशि, 400 गांवों में ओलावृष्टि से प्रभावित फसलों का होगा सर्वे

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MP Cabinet Meeting: मध्य प्रदेश में हाल ही में हुई ओलावृष्टि से 400 से ज्यादा गांवों में फसलों को भारी नुकसान हुआ है, जिसका सर्वे कराकर मोहन सरकार किसानों को राहत राशि देगी। यह फैसला एमपी कैबिनेट की बैठक में लिया गया, जिसकी जानकारी मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने दी।

मध्यप्रदेश सरकार ने सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने, जल संकट से निपटने और निवेश को बढ़ावा देने के लिए भी ठोस कदम उठाए हैं। साथ ही, उज्जैन को काल गणना का प्रमुख केंद्र बनाने और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में नई योजनाओं की घोषणा की गई है।

किसानों को मिलेगा मुआवजा, सोलर प्लांट को भी मंजूरी

सोमवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में विधानसभा भवन में कैबिनेट की बैठक आयोजित की गई, जिसमें किसानों को राहत देने के लिए कदम उठाया गया। दरअसल, हाल ही में ओलावृष्टि ने मध्य प्रदेश के कई जिलों में कहर बरपाया, जिससे 400 से ज्यादा गांवों के किसानों की मेहनत बर्बाद हो गई। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए प्रभावित गांवों में तुरंत सर्वे करवाने के निर्देश दिए हैं। सर्वे पूरा होते ही किसानों को मुआवजा राशि दी जाएगी ताकि वे दोबारा खेती शुरू कर सकें।

इसके अलावा कैबिनेट बैठक में सौर ऊर्जा संयंत्र (सोलर प्लांट) लगाने की भी घोषणा की गई है। इन प्लांट्स के जरिए नगर निगमों और नगर पालिकाओं को सस्ती बिजली मिलेगी, जिससे उनका बिजली खर्च कम होगा। साथ ही, राज्य की जल आपूर्ति योजनाओं में भी सौर ऊर्जा का उपयोग किया जाएगा, जिससे पानी की सप्लाई सुचारू और किफायती होगी।

कलेक्टरों को निर्देश – गर्मी में पानी की किल्लत न हो

मध्यप्रदेश में गर्मी के दिनों में कई इलाकों में पानी की किल्लत हो जाती है। इस समस्या से निपटने के लिए मुख्यमंत्री ने सभी जिलों के कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि वे टैंकरों से जल आपूर्ति की पूरी व्यवस्था करें। इसके अलावा, पशु-पक्षियों के लिए भी पानी की व्यवस्था करने को कहा गया है।

सरकार ने यह सुनिश्चित करने को कहा है कि सभी जिलों में पर्याप्त पानी रहे और किसी भी व्यक्ति को पानी के लिए परेशानी न हो। सरकार का यह कदम पर्यावरण संरक्षण और जल आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।

उज्जैन बनेगा काल गणना का प्रमुख केंद्र

कैबिनेट बैठक में यह भी फैसला लिया गया कि उज्जैन को काल गणना का प्रमुख केंद्र बनाया जाएगा। उज्जैन को यह दर्जा इसलिए दिया गया है, क्योंकि यहां गणितीय सटीकता उच्च स्तर की मानी जाती है। काल गणना के क्षेत्र में उज्जैन का ऐतिहासिक महत्व रहा है, जिसे अब और आगे बढ़ाया जाएगा।

वहीं मध्य प्रदेश में इस बार गुड़ी पड़वा के अवसर पर विशेष नववर्ष उत्सव मनाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि सभी मंत्री अपने-अपने प्रभार वाले जिलों में जाकर इस पर्व को मनाने में सहयोग करें। इस दिन अधिक से अधिक लोगों को गुड़, धनिया और नीम की पत्तियां खाने के लिए प्रेरित किया जाएगा, ताकि वे स्वस्थ रहें।

कैबिनेट बैठक में मोहन सरकार ने विक्रम संवत पर आधारित एक विशेष पुस्तिका ‘भारत का नववर्ष विक्रम संवत’ भी जारी की है। इस पुस्तिका में काल गणना की पद्धति, प्राचीन यंत्रों और वैदिक घड़ी के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।

ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का असर दिखने लगा

मध्यप्रदेश सरकार द्वारा आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के सकारात्मक परिणाम अब दिखने लगे हैं। इस समिट के तहत भिंड-चंबल क्षेत्र में 18 एमओयू साइन किए गए हैं। इन समझौतों के तहत भिंड, ग्वालियर और मुरैना में नई औद्योगिक इकाइयां स्थापित की जा रही हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि निवेश प्रस्तावों को जमीन पर उतारने के लिए सभी संबंधित विभाग तेजी से काम कर रहे हैं।

इसी कड़ी में 21 मार्च को ग्वालियर क्षेत्र में 18 औद्योगिक इकाइयों का भूमि पूजन किया गया। इसके अलावा, 25 मार्च को उज्जैन और उसके आसपास के इलाकों में 25 नई औद्योगिक इकाइयों का भूमि पूजन किया जाएगा। खजुराहो में ओबेरॉय ग्रुप को 19 एकड़ भूमि वैलनेस सेंटर बनाने के लिए दी जाएगी

ओंकारेश्वर में बनाई जा रही वाइल्डलाइफ सेंचुरी

सरकार ने पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया है। ओंकारेश्वर में 614 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में प्रदेश की 26वीं वाइल्डलाइफ सेंचुरी विकसित की जा रही है। यह सेंचुरी पूरी तरह से प्राकृतिक क्षेत्र होगा, जिसमें कोई गांव या बसाहट नहीं होगी। भविष्य में इसे एक टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित करने की योजना भी बनाई जा रही है।

दूसरी ओर विक्रम महोत्सव के तहत नई दिल्ली में 12, 13 और 14 अप्रैल को  विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इस दौरान सम्राट विक्रमादित्य पर आधारित एक महानाट्य प्रस्तुत किया जाएगा। यह महानाट्य प्रदेश के प्रमुख शहरों में भी दिखाया जाएगा, ताकि लोगों को सम्राट विक्रमादित्य के जीवन और शासन व्यवस्था के बारे में जानकारी मिल सके।

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