दो घंटे के इंतजार के बाद विक्रम के गर्भ से बाहर निकला प्रज्ञान, अब 14 दिन का असली सफर शुरू

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नई दिल्ली । चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर ली है। इसरो की इस उपलब्धि पर पूरे देश में खुशी का माहौल है। विक्रम लैंडर ने चांद पर उतरने का काम पूरा कर लिया है। विक्रम के गर्भ से प्रज्ञान रोवर बाहर निकल आया है। उसने चंद्रमा की सतह पर चहलकदमी शुरू कर दी है। मून मिशन का असली काम अब शुरू हुआ है। लैंडर विक्रम के पेट से रोवर प्रज्ञान बाहर आ चुका है। अब दोनों मिलकर मून के साउथ पोल का हालचाल बताएंगे। विक्रम लैंडर की सफल लैंडिंग के बाद अगला अहम कदम रोवर ‘प्रज्ञान’ को बाहर निकालना था। इसरो ने बताया है कि रोवर ‘प्रज्ञान’ अब लैंडर से बाहर निकल आया है। रोवर अब विभिन्न प्रयोगों के डेटा लैंडर तक भेजेगा और लैंडर से यह इसरो तक पहुंचेगा।
विक्रम लैंडर के चांद की सतह पर उतरने के बाद रोवर प्रज्ञान को बाहर निकालने में लगभग दो घंटे का समय लगा। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि जब तक विक्रम लैंडर के टचडाउन से उड़ी धूल पूरी तरह शांत नहीं हो जाती, तब तक रोवर को बाहर निकालना ठीक नहीं था। चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से कम है। इस कारण, चंद्रमा पर धूल उस तरह नहीं खत्म होती जिस तरह वह पृथ्वी पर होती है। वैज्ञानिकों को चिंता थी कि अगर धूल शांत होने से पहले ही रोवर को बाहर निकाला गया, तो इससे रोवर पर लगे कैमरे और अन्य संवेदनशील उपकरणों को नुकसान हो सकता है। यही वजह रही रोवर को विक्रम की लैंडिंग के एक घंटे 50 मिनट बाद बाहर निकाला गया।
बाहर निकलने के साथ ही चांद की जमीन पर प्रज्ञान की चहलकदमी शुरू हो गई है। रोवर प्रज्ञान में 6 पहिए लगे हैं। इनकी मदद से चलते हुए यह रोबोटिक व्हीकल अपने मिशन को अंजाम देगा। प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर जैसे-जैसे आगे बढ़ेगा वह भारत के निशानों को चांद की सहत पर उकेरेगा। यह इसरो के लोगो और भारत के प्रतीक (अशोक स्तंभ) के निशान चांद पर उकेरेगा। प्रज्ञान शब्द का संबंध प्रज्ञा, बुद्धि और विवेक से है और अपने नाम को सार्थक करते हुए प्रज्ञान ने चंद्रमा पर अपना मिशन शुरू कर दिया है।
चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग के बाद अब रोवर मॉड्यूल इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा दी गई 14 दिवसीय कार्ययोजना को शुरू करेगा। उसके विभिन्न कार्यों में चंद्रमा की सतह के बारे में और जानकारी हासिल करने के लिए वहां प्रयोग करना भी शामिल है। ‘विक्रम’ लैंडर के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर अपना काम पूरा करने के बाद अब रोवर ‘प्रज्ञान’ के चंद्रमा की सतह पर कई प्रयोग करने के लिए लैंडर मॉड्यूल से बाहर निकल आया है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, लैंडर और रोवर में पांच वैज्ञानिक उपक्रम (पेलोड) हैं जिन्हें लैंडर मॉड्यूल के भीतर रखा गया है। इसरो ने कहा कि चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करने के लिए रोवर की तैनाती चंद्र अभियानों में नयी ऊंचाइयां हासिल करेगी। लैंडर और रोवर दोनों का जीवन काल एक-एक चंद्र दिवस है जो पृथ्वी के 14 दिन के समान है। चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास अपने रोवर को तैनात करेगा, जो चंद्रमा की मिट्टी और चट्टानों की संरचना के बारे में अधिक जानकारी देगा। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ और खनिजों का भंडार होने की उम्मीद है। प्रज्ञान रोवर का सरफेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट करके ध्रुवीय क्षेत्र के पास चंद्र सतह के तापीय गुणों का मापन करेगा। चंद्र भूकंपीय गतिविधि उपकरण (आईएलएसए) लैंडिंग स्थल के आसपास भूकंपीयता को मापेगा और मून क्रस्ट और मेंटेल की संरचना का चित्रण करेगा। लैंडर पेलोड, रेडियो एनाटॉमी ऑफ मून-बाउंड हाइपरसेंसिटिव आयनोस्फीयर एंड एटमॉस्फियर (आरएएमबीएचए), निकट सतह के प्लाज्मा घनत्व और समय के साथ इसके परिवर्तनों को मापेगा। चंद्रयान 3 के ‘विक्रम’ लैंडर और छह पहियों वाले रोवर को एक चंद्र दिवस (14 दिन) की अवधि के लिए संचालित करने के लिए डिजाइन किया गया है। बता दें कि चार पैरों वाले लैंडर में सुरक्षित टचडाउन सुनिश्चित करने के लिए कई सेंसर लगे हैं, जिसमें एक्सेलेरोमीटर, अल्टीमीटर, डॉपलर वेलोमीटर, इनक्लिनोमीटर, टचडाउन सेंसर और इसके अलावा खतरे से बचने और स्थिति संबंधी ज्ञान के लिए कैमरों का एक पूरा सूट शामिल था।