प्रदीप द्विवेदी (वरिष्ठ पत्रकार )
जब मजबूर मजदूरों को अपने घर जाने के लिए तत्काल सहायता की जरूरत थी तब केन्द्र की मोदी सरकार बेरहम ब्याजखोरों की तरह यह हिसाब लगाने में व्यस्त थी कि कितना पैसा राज्य सरकार देगी। कितना पैसा केन्द्र सरकार देगी? छह साल से पेट्रोल की कानूनी कालाबाजारी करनेवाली और विभिन्न टैक्सों के मार्फत जनता की खून-पसीने की कमाई हड़पने वाली केन्द्र सरकार ने यह भी नहीं सोचा कि यदि समय पर सहायता नहीं मिली तो मजदूर दम तोड़ देगा!
इस बीच मुंबई में सोनू सूद ने लॉकडाउन के शुरू होने के बाद से अब तक कई प्रवासी मजदूरों को महाराष्ट्र से उनके घर तक पहुंचाया है। फिल्मों के विलेन सोनू रियल लाइफ हीरो बन गए हैं और अनजाने ही सही, उन्होंने पीएम मोदी का असली सियासी बौना कद जगजाहिर कर दिया है!
काश, अक्षय कुमार पीएम केयर फंड में पैसा देने बजाए सोनू सूद जैसा कदम उठाते तो पैसा सही हाथों तक तो पहुंचता? मुंबई का मजदूर केन्द्र सरकार की मदद की आस में बर्बाद नहीं हो जाता?
वैसे, यह कांग्रेस के लिए भी संदेश है? केवल बड़े-बड़े बयान जारी करने से और केन्द्र सरकार की आलोचना करने से उसकी भूमिका पूरी नहीं हो जाती है!
जब प्यास से लोग दम तोड़ रहे थे, तब मोदी सरकार ने पहाड़ पर कुंआ खोदने जैसा 20 लाख करोड़ का पहेली पैकेज घोषित कर दिया? किसके लिए? चंदा देनेवाले मित्रों के लिए? लेकिन, याद रखिए, मजबूर मध्यमवर्ग और गरीबों को बर्बाद करके कोई मित्र आबाद नहीं हो पाएगा? अमीर मित्र बगैर ग्राहक के शोरूम के काउंटर पर बैठकर पुंगी ही बजाएंगे!
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