MNS Workers Beat Shopkeeper: राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) एक बार फिर विवादों में है।
इस बार मामला ठाणे से सामने आया है, जहां पार्टी के कार्यकर्ताओं ने एक गुजराती दुकानदार की पिटाई कर दी।
इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
जिसमें साफ देखा जा सकता है कि कैसे दुकानदार को घेरकर MNS कार्यकर्ता ने पहले धमकाया और फिर थप्पड़ मारे।
MNS workers are beating hawkers in Mira Road for not speaking Marathi.
This is same Mira Road which faced voilent attack by Islamist during Hanuman Jayanti procession and at that time these goons were hiding in their house.
These sadakchhap goons led by Sadakchhap Gunda Raj… pic.twitter.com/jlorMauI6u
— Facts (@BefittingFacts) July 1, 2025
पहले दुकानदार को धमकाया, फिर मारे थप्पड़
ठाणे के काशीमीरा इलाके में एक गुजराती दुकानदार से MNS कार्यकर्ताओं की पहले बहस होती है, फिर विवाद बढ़ता है और मामला हाथापाई तक पहुंच जाता है।
दुकानदार का कसूर सिर्फ इतना था कि उसने पूछ लिया – “मराठी बोलना क्यों जरूरी है?”
इस पर एक MNS कार्यकर्ता जवाब देता है, “ये महाराष्ट्र है, यहां मराठी ही बोलनी होगी।”
वीडियो में दिख रहा है कि पहले कार्यकर्ता दुकानदार को घेरे खड़े होते हैं और उससे सख्त लहजे में बात करते हैं।
एक कार्यकर्ता कहता है – “तूने मुझसे पूछा कि मराठी क्यों बोलनी चाहिए? जब तेरी कोई परेशानी थी, तो तू MNS ऑफिस आया था। तब मदद चाहिए थी तो मराठी नहीं याद आई?”
दुकानदार जवाब देता है कि उसे नहीं पता था कि मराठी अब अनिवार्य हो गई है। इसके बाद माहौल गर्म होता है।
एक कार्यकर्ता दुकानदार को धमकी देता है कि उसे इस इलाके में कारोबार नहीं करने दिया जाएगा।
जैसे ही दुकानदार कहता है – “तो मुझे मराठी सीखनी पड़ेगी”
एक अन्य कार्यकर्ता कहता है – “हां, ऐसा कहो। लेकिन ये सवाल मत करो कि मराठी क्यों सीखनी चाहिए। ये महाराष्ट्र है।”
जब दुकानदार कहता है – “यहां सभी भाषाएं बोली जाती हैं”
तो पहले उसे एक थप्पड़ मारा जाता है। फिर एक और कार्यकर्ता दो थप्पड़ जड़ देता है।
दुकानदार कुछ बोलने की कोशिश करता है, तो उसे चार और थप्पड़ मारे जाते हैं।
वीडियो वायरल होने के बाद मंगलवार को काशीमीरा थाने में सात MNS कार्यकर्ताओं के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है।
भाषा को लेकर पहले भी उठा विवाद
यह घटना उस वक्त हुई है जब महाराष्ट्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 को लेकर भाषाई बहस चरम पर है।
राज्य सरकार ने 16 अप्रैल को नई नीति के तहत पहली से पांचवीं कक्षा तक हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा के रूप में लागू करने का निर्णय लिया था।
लेकिन कई क्षेत्रीय दलों, खासकर MNS ने इसका विरोध किया।
राज ठाकरे ने सार्वजनिक रूप से बयान दिया था कि सरकार को मराठी और इंग्लिश को ही अनिवार्य भाषा के रूप में अपनाना चाहिए और हिंदी को थोपने की कोशिश नहीं होनी चाहिए।
इसके बाद 22 अप्रैल को राज्य सरकार ने अपना फैसला बदल दिया और कहा कि तीसरी भाषा को छात्र अपनी पसंद से चुन सकेंगे।
दरअसल, राज ठाकरे और उनकी पार्टी MNS का क्षेत्रीय पहचान और भाषा को लेकर रुख शुरू से ही उग्र रहा है।
पार्टी ने पहले भी मुंबई और पुणे जैसे शहरों में उत्तर भारतीय और गैर-मराठी लोगों को लेकर अभियान चलाए हैं।
इसके चलते MNS पर अक्सर “भाषाई नफरत फैलाने” और “विभाजनकारी राजनीति” के आरोप लगते रहे हैं।
यह खबर भी पढ़ें – हिंदी बोलने पर पिटाई, महाराष्ट्र में रहना है तो मराठी सीखनी और बोलनी पड़ेगी भाई
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