प्रदेश की नौकरशाही और कमलनाथ की अफसरों पर अंकुश ना होने की
बेबसी साफ़ दिख रही है, बिजली कटोती को सरकार ही साजिश कह रही
इंदौर। मध्यप्रदेश में इस वक्त लोकसभा चुनाव से ज्यादा शर्त यदि किसी चीज की लग रही है तो वह है कमलनाथ सरकार के गिरने की। आम आदमी से लेकर पूर्व मंत्री और ब्यूरोक्रेट्स तक यही चर्चा कर रहे हैं। सबके बीच एक ही मुद्दा-लोकसभा चुनाव के बाद कमलनाथ सरकार गिर जायेगी। इसका ही असर है शायद कि मध्यप्रदेश की नौकरशाही पर अब तक सरकार की लगाम नहीं है। अफसर भी सबका साथ,अपना विकास की नारे पर काम कर रहे हैं। अफसरों को डर है यदि कांग्रेस सरकार गिर गई तो भाजपा के सत्ता में लौटने पर उनकी फजीहत हो जायेगी इसी डर के चलते वे दोनों दलों के साथ दिखाई दे रहे है। खुद मुख्यमंत्री की भी शायद ये अफसर नहीं सुनते। यही कारण कि लगातार बिजली कटौती प्रदेश में बढ़ रही है, कई कर्मचारियों को ससपेंड करने कार्रवाई के बाद भी कोई सुधार नहीं। खुद कमलनाथ को अपने जिला और शहर अध्यक्षों से कहना पड़ा कि सरकार के खिलाफ काम करने वाले अधिकारी और कर्मचारियों के सूची दीजिये। इसके मायने ये सरकार खतरे में है ? खुद मुख्यमंत्री की इस तरह से बेबसी भरी चिट्ठी भी कई सवाल खड़े करती है।
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