अपनी इंदौर यात्रा में भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी दादी राजमाता सिंधिया की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया, देवी अहिल्या प्रतिमा पर नमन किया, ज्योतिरादित्य को छोटा नेता और गद्दार तक कहने वाले कैलाश विजयवर्गीय के घर भी खाना खाया, परअपनी दो दिन की यात्रा में वे इंदौर में अपने पिता माधवराव सिंधिया प्रतिमा पर जाना भूल गए
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इंदौर। कांग्रेस से भाजपा में आये और राज्यसभा पहुंचे ज्योतिरादित्य सिंधिया दो दिन इंदौर में रहे। इस दौरान भाजपा के कई नेताओं के घरों तक दस्तक दी। वे सबसे मिले। आशीर्वाद भी मांगा। इस दौरान सिंधिया भाजपा कार्यालय भी पहुंचे। वहां उन्होंने अपनी दादी और भाजपा की वरिष्ठ नेता राजमाता सिंधिया की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इससे पहले विरोधी पार्टी के होने के चलते सिंधिया ऐसा नहीं कर सके थे, पर इस सबमे वे इंदौर के बंगाली चौराहे पर लगी अपने पिता माधवराव सिंधिया की प्रतिमा पर नहीं पहुंचे। इसके पहले वे जब भी कुछ बड़ा हासिल करके इंदौर आये वे यहां गए हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक भी उन्हें माधवराव जी की प्रतिमा ले जाना नहीं भूलते थे। कई मौको पर उनके समर्थक सिंधिया के आने की सुचना पर खुद ही प्रतिमा पर कोई आयोजन करते रहे हैं। पर इस बार वे भी गायब रहे। सिंधिया के ऐसे समर्थक जो अब भी माधवराव सिंधिया के प्रति आस्था रखते हैं और कांग्रेस में ही हैं, वे भी इससे मायूस हैं। उनका कहना है कि पहले राजनीतिक विचारधारा के चलते दादी से दूरी बनाये रखी अब क्या भाजपा से निकटता के चलते अपने खांटी कांग्रेसी पिता से भी सार्वजनिक रूप से सिंधिया को दूरी रखनी पड़ेगी। ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पिता को बहुत मानते हैं, उन्होंने भाजपा में प्रवेश के वक्त है भाषण में अपने पिता का कई बार जिक्र किया।
कैलाश विजयवर्गीय ने सिंधिया को नहीं दी तवज्जो !
मध्यप्रदेश की क्रिकेट राजनीति के चलते एक दूसरे के आमने-सामने रहे कैलाश विजयवर्गीय और ज्योतिरादित्य सिंधिया की इंदौर में मुलाकात नहीं हो सकी। सिंधिया के इंदौर आने तक उनके दौरे में कैलाश विजयवर्गीय से मुलाकात तय थी। पर अपने अंदाज़ के लिए मशहूर विजयवर्गीय अचानक पश्चिम बंगाल चले गए। राजनीतिक हलकों में इसे सिंधिया को जानबूझकर नीचा दिखाने की कोशिश बताया जा रहा है।
विजयवर्गीय को करीब से जानने वालों का कहना है कि भाजपा में भले कैलाश दरकिनार कर दिए गए हों, पर वे मालवा-निमाड़ में अपनी ताकत बनाये रखना चाहते हैं। वैसे भी इस इलाके की पांच सीटों के वे उपचुनाव के प्रभारी हैं। उनके प्रभार वाली सीटों पर सिंधिया समर्थक चुनाव लड़ रहे हैं। सिंधिया को विजयवर्गीय के अनुपस्थिति में भी उनके घर जाना पड़ा। उन्होंने वहां रात्रिभोज किया।
मालूम हो कि सांवेर सीट सिंधिया के लिए चुनौती बनी हुई है। यहाँ से उनके ख़ास तुलसी सिलावट मैदान में है। वैसे भी विजयवर्गीय जानबूझकर सिंधिया से नहीं मिले, इसका सबूत ये है कि पिछले पांच महीने में कभी पश्चिम बंगाल नहीं गए। एन सिंधिया के आगमन के पहले ही उनका जाना अपने आप में पूरी कहानी है। बताया जा रहा है कि बदनावर में सिंधिया के करीबी राजवर्धन सिंह दत्तीगांव के चुनाव में भी विजयवर्गीय के अहम भूमिका रहेगी। सांवेर के साथ ही इस सीट पर भी जीत हार में कैलाश विजयवर्गीय की भूमिका अहम रहेगी। सूत्रों के अनुसार शपथ समारोह और दूसरे आयोजनों में सिंधिया द्वारा कृष्ण मुरारी मोघे को बदनावर वाले मामले में तवज्जों देने से भी विजयवर्गीय नाराज हैं।
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