टाटपट्टी बाखल और रानीपुरा में स्वास्थ्य विभाग की टीम पर हमले के बाद कोरोना को सांप्रदायिक रंग देने के कोशिश के बीच नमाज के बाद दो डॉक्टरों निभाया अपना धर्म
इंदौर। जब पूरे देश में जमात और मरकज़ को लेकर सवाल उठाये जा रहे हैं, इंदौर ने एक और मिसाल कायम की। इंदौर के कोरोना पीड़ितों के इलाज के लिए प्लाज़्मा थेरेपी को मंजूरी मिल गई है। इंदौर के दो पॉजिटिव मुस्लिम डॉक्टरों ने स्वस्थ्य होने के बाद मरीजों के इलाज के लिए अपना प्लाज़्मा डोनेट किया। रमजान के पवित्र महीने में फजहर की नमाज़ पढ़कर दोनों डॉक्टर इंदौर के अरविंदो हॉस्पिटल पहुंचे और ब्लड प्लाज़्मा डोनेट किया।
इंदौर में टाटपट्टी बाखल, रानीपुरा जैसे इलाकों में कुछ लोगों द्वारा स्वास्थ कर्मियों पर हमले के बाद पूरी कौम के प्रति नफरत फैलाई जा रही थी। मीडिया और आम लोगों ने भी इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की। पर रविवार को दोनों डॉक्टरों ने दूसरे पीड़ितों के इलाज के लिए रक्त देकर कोरोना को मजहब में बांटने की कोशिश करने वालों को कड़ा जवाब दिया। अब इनके रक्त से रिसर्च कर दूसरे मरीजों का इलाज किया जाएगा।
अरविन्दों हॉस्पिटल के अनुसार डॉ. इज़हार मोहम्मद मुंशी और डॉ. इक़बाल कुरैशी ने कोरोना से मुकाबले के लिये 500-500 मिलीग्राम ब्लड प्लाज़्मा डोनेट किया। कोरोना थेरेपी की सुविधा सिर्फ अरविंदो हॉस्पिटल में ही है।
हॉस्पिटल चेयरमैन डॉ. विनोद भंडारी ने उम्मीद जताई है कि स्वस्थ हुए और भी मरीज़ प्लाज़्मा डोनेट कर मानवता का काम करेंगे। डॉ. मुंशी ने कोरोना इलाज़ के लिये प्लाज़्मा देकर इंदौर में मिसाल कायम की है। यह प्लाज़्मा कोरोना के गम्भीर मरीज़ों के लिये अमृत समान है।
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