ई-पास वाली टीम भी योद्धा से कम नहीं, अब तक एक लाख पास जारी किये

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आईडीए के विवेक श्रोत्रिय के नेतृत्व में ई-पास बनाने वाली टीम 24 घंटे काम कर रही है, इंदौर में पांच हजार आवेदन प्रतिदिन आ रहे, इनको चेक करना कोई आसान काम नहीं, इस टीम के कारण लाखों लोग अपने घर पहुंच सके

अभिषेक कानूनगो

इंदौर। ई पास का सिस्टम जैसे ही भोपाल से इंदौर पहुंचा लोगों ने धड़ल्ले से आवेदन की और जरूरतमंदों को पास भी मिलने लगे। इंदौर से ही पास बनवाने वालों की तादाद एक लाख के पार निकल गई है। 50 हजार से ज्यादा आवेदन दस्तावेजों की कमी के कारण रद्द भी कर दिए है। इनमे से ज्यादातर वह लोग हैं जो शहर में घूमने के लिए ही नजदीक के किसी शहर का यह पास बनवा रहे थे। मेडिकल टीम, पुलिस, जिला प्रसाशन की टीम को योद्धा तो पर गिना जा रहा है, पर ई पास जारी करने वाली टीम भी रात दिन जुटी है। इस टीम ने सैकड़ों अटके लोगों को घर पहुंचने में बड़ी भूमिका निभाई है।

तालाबंदी के शुरुआती दौर में ई पास बनवाना बेहद कठिन या नामुमकिन था। अब इसमें मामल थोड़ा सरल हुआ है। इंदौर में कुल 1 लाख 56 हजार दो सौ तीस लोगों ने शहर से बाहर जाने के लिए आवेदन किया। लगभग एक लाख लोगों को ई पास जारी किए जा चुके है। ई पास व्यवस्था शुरू होते वक्त किसी अफसर को इसका आभास नहीं था कि शहर से बाहर जाने वाले लोगों की तादाद इतनी ज्यादा रहेगी।

प्रतिदिन औसत 5000 के लगभग आवेदन आ रहे हैं। इसमें से 70 फीसदी को पास जारी हो रहे हैं। बाकी के रिजेक्ट इसलिए हुए क्योंकि दस्तावेज पूरे नहीं थे। शुरुवात में पास की व्यवथा भोपाल से थी। जो नगरीय प्रशासन अफसर संजय दुबे इसका जिम्मा सम्हाल रहे थे। ज्यादा आवेदन आने के कारण अब जिलावार अफसरों को जिम्मेदारी दे दी गई। सबसे ज्यादा आवेदन मध्य प्रदेश से इंदौर में ही हुए हैं। यहां से दूसरे राज्यों में जाने वाले लोगों की तादाद भी 50 हजार से ज्यादा है। ऐसे में अब वह लोग भी आवेदन कर रहे हैं जिन्हें मेडिकल इमरजेंसी या कहीं गमी में शामिल होने के अलावा व्यापार व्यवसाय के लिए दूसरे शहर या राज्य जाना चाहते हैं।

विवेक श्रोत्रिय के नेतृत्व में टीम ने 24 घंटे काम करके लोगों को पास उपलब्ध कराये

इंदौर जिले के लिए ही पास बनाने की जिम्मेदारी आईडीए के विवेक श्रोत्रिय को सौंपी गई है। उनका कहना है पहले हमने इसके लिए चार सेंटर शुरू किए थे जहां पर 24 घंटे काम हो रहा था। मॉनिटरिंग के लिए मैं भी दिन रात लगा हुआ था। लेकिन जैसे-जैसे आवेदन कम होने लगे हैं वैसे कम सेंटरों से ही काम चल रहा है पहले मेडिकल इमरजेंसी के लिए ज्यादा आवेदन आ रहे थे।

अब जिन लोगों को व्यापार व्यवसाय और शादी मैं बाहर जाना है उन लोगों के लिए भी ही पास बनाए जा रहे है। कुछ लोगों की बदमाशी भी सामने आई है जो शहर में घूमने के लिए ही पास बनवा रहे थे। कुछ लोग देवास या उज्जैन तक का आवेदन करते हैं और इंदौर में ही उस बात को लेकर घूमते। है

ऐसे लोगों पर कार्रवाई की जा रही है लेकिन अब रिजेक्शन का लेवल भी बढ़ा दिया है। ज्यादा पैनी निगाह से आवेदन को पढ़ा जा रहा है। कई लोगों का पास इसलिए भी रिजेक्ट हो जाता है क्योंकि वह आईडी लगाना जरूरी नहीं समझते है। हमने देश के लगभग सभी राज्यों के लिए ई पास जारी किए है।

मुझे भरोसा है कि ऐसा कोई जरूरतमंद नहीं रहा होगा जो ताला बंदी के कारण इंदौर में फंस गया हो और उसे अब तक पास नहीं मिला हो पहले राजस्थान को लेकर शिकायतें जरूर आ रही थी कि यहां से जाने वाले लोगों को बॉर्डर पर परेशान होना पड़ रह है। उस दौरान राजस्थान के लिए ई पास बनाना बंद भी कर दिए थे। अब राजस्थान सरकार और मध्य प्रदेश सरकार के बीच तालमेल के बाद यह दिक्कत दूर हो गई है।

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