डिजिटल कारसेवक आगे आएं, तभी नफरत मिटेगी

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सुनील कुमार (संपादक डेली छत्तीसगढ़ )

ट्विटर पर भारत सरकार का शुरू किया गया एक पेज देखने मिला जिसमें देश में तैर रही अफवाहों का खंडन किया गया है। वैसे तो देश में कुछ ऐसी गंभीर और ईमानदार वेबसाइटें हैं जो कि सोशल मीडिया और मीडिया में तैरते झूठ पकड़कर उनकी जांच करके भंडाफोड़ करती हैं, कई बड़े प्रकाशन समूहों ने भी फैक्टचेक के लिए ऐसी बातें शुरू की हैं। लेकिन बहुत से बड़े टीवी चैनल और बड़े अखबार ऐसे हैं जो खुलकर, पूरी नंगाई से, नफरत पर सवार झूठ को सच बताते हुए चारों तरफ आग लगाने पर आमादा हैं, और उसके लिए ओवरटाइम कर रहे हैं। हालत यह हो गई है कि केंद्र और कई राज्य सरकारों के बहुत ही बड़े वकालती ऐसे मेनस्ट्रीम मीडिया संस्थान हैं जो कि अपने-अपने राज्य की पुलिस से नोटिस भी पा रहे हैं, सरकार कह रही है कि उनकी खबर झूठी है, लेकिन वे उस खबर को हटाते ही दूसरी नफरती खबर फैला दे रहे हैं। सरकार जिस तरह किसी एक संगठन को प्रतिबंधित करती है, और अगले ही दिन दूसरे नाम से उसी संगठन का काम शुरू हो जाता है, वैसा ही झूठी खबरों के साथ भी हो रहा है, फेक खबरें तो इनसे अलग हैं ही, जो कि कोई झूठा सोर्स बताकर फैलाई जाती हैं।

ऐसे में कुछ पत्रकार रात-दिन मेहनत करके सोशल मीडिया पर, अखबारों में, और दूसरी जगहों पर देख-देखकर सच और झूठ को उजागर करने का काम भी कर रहे हैं। इंटरनेट और वेबसाइटों की मेहरबानी से हर झूठ, हर सच दर्ज भी होते चल रहे हैं। नफरती लोगों की हरकतें भी दर्ज होते चल रही हैं, और जागरूक लोग सोशल मीडिया पर भी नफरतियों को उजागर करते चल रहे हैं। लेकिन जिनके सीने नफरत की आग से धधक रहे हों, जिनके हाथ देश में चल रहीं झूठ की फैक्ट्रियों से ताजा माल हर मिनट पहुँच रहा हो, उन पर काबू पाना डॉन को पकडऩे की तरह ही नामुमकिन है। जब तक मोहब्बत गुलदस्ता सजा पाती है, नफरत जाकर पूरे चमन को नोंचकर लौट आती है।

एक वक्त जिस तरह लोग कई किस्म की समाजसेवा करते थे, आज डिजिटल-स्वयंसेवकों की जरूरत है जो कि एक नेटवर्क बनाकर झूठ से सामना करने के लिए एकजुट हो सकें। जैसे कहीं तालाब की गंदगी साफ करने के लिए लोग एक होकर श्रमदान करते हैं, उसी तरह समाज के दिल-दिमाग की गन्दगी दूर करने के लिए भली नीयत वालों को श्रमदान करना होगा। अब चूंकि सड़कों की गंदगी मोदी के प्रशंसक दूर करने का बीड़ा उठा चुके हैं, इसलिए बाकी लोगों को दिल-दिमाग की गन्दगी दूर करने की कसम खानी चाहिए। अब चूँकि मोदी-सरकार भी फेक-न्यूज और झूठी खबरों का खंडन कर रही है, योगी सरकार की पुलिस भी सरकार की पसंदीदा न्यूज एजेंसी की ख़बरों का खंडन कर रही है, तो मोदी-योगी के प्रशंसकों में फेक को बढ़ाना कुछ कम होने की उम्मीद की जा सकती है। लोहा अभी गर्म दिख रहा है, कोरोना ने देश के भीतर एक नया माहौल खड़ा कर दिया है, इस मौके का फायदा उठाना चाहिए। महामारी के कानून के तहत अफवाहों पर जो सबसे कड़ी सजा हो सकती है, वह दिलाने के लिए सुबूत जुटाने में लोगों को मदद करनी चाहिए।

आज हिन्दुस्तान में डिजिटल कार-सेवा की जरूरत है। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारों में तो अलग-अलग नामों से कारसेवा होती ही रहती है, इंटरनेट, सोशल मीडिया, और मुख्यधारा के मीडिया से गंदगी दूर करने के लिए डिजिटल-कारसेवकों को एकजुट करने की पहल होनी चाहिए।

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