– बस संचालकों ने परिवहन आयुक्त केआदेश पर ली आपत्ति, कहा जब बसें ही नहीं चल रही तो कहां से जमा करें टैक्स, केंद्र
इंदौर।
देश में कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए 25 मार्च से लॉक डाउन जारी है। बसों के संचालन पर इससे पहले ही रोक लगा दी गई थी। अन्य ट्रांसपोर्ट वाहनों की भी हालत ऐसी ही है। इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने एक एडवाइजरी जारी करते हुए 30 जून तक सभी कमर्शियल वाहनों को परमिट, फिटनेस और टैक्स से छूट के आदेश दिए हैं। इसे सभी राज्यों को लागू करना है।
पर मध्यप्रदेश में हालत उलट है। पहले राज्य सरकार टोल टैक्स वसूलती रही, जबकि केंद्र ने टोल पर छूट के आदेश दे दिए थे। अब एडवाइजरी लागू होने के बाद भी कुछ दिनों पहले प्रदेश के परिवहन आयुक्त ने सभी कमर्शियल वाहनों का टैक्स माफ करने के लिए बजाए उन्हें 30 अप्रैल तक टैक्स जमा करने का समय दिया है। इसे लेकर कमर्शियल वाहन मालिक परेशान है। बस संचालकों और ट्रांसपोर्टर्स ने इसका विरोध भी शुरू कर दिया है।
प्राइम रूट बस आनर्स एसोसिएशन के गोविंद शर्मा ने बताया कि केंद्र सरकार ने 30 मार्च को एडवाइजरी जारी करते हुए कहा था कि कोरोना के चलते सभी आरटीओ ऑफिस बंद हैं और सिर्फ जरुरी कार्यों में लगे वाहनों का ही संचालन हो रहा है। ऐसी स्थिति में इन वाहनों का अगर फिटनेस, परमिट या टैक्स खत्म हो गया है,उनका नवीनीकरण नहीं हो पा रहा है।
इसे देखते हुए 30 जून तक सभी कमर्शियल वाहनों को इन सभी चीजों की वैधता दी जाती है। यानी 30 जून तक के लिए फिटनेस और परमिट की अवधि को बढ़ाया गया है और टैक्स को माफ करते हुए उसे भी 30 जून तक वैध किया है। इसके बाद भी राज्य के परिवहन आयुक्त ने 7 अप्रैल को एक आदेश जारी करते हुए कहा कि टैक्स जमा करने की अवधि को 30 अप्रैल किया गया है और सभी कमर्शियल वाहनों का टैक्स 30 अप्रैल तक जमा करना होगा।
उन्होंने बताया कि राज्य का यह आदेश केंद्र के आदेश के विपरीत है। इससे प्रदेश के लाखों कमर्शियल वाहनों के मालिकों पर बोझ पड़ेगा और जब वाहन चल ही नहीं रहे हैं तो वाहन मालिक उसका टैक्स कहां से भरेगा। उन्होंने कहा कि इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से करते हुए 30 जून तक के लिए केंद्र के आदेशानुसार टैक्स को माफ करने की मांग रखी जाएगी।
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