पीलीभीत। भाजपा सांसद वरुण गांधी खुलकर किसानों के समर्थन में आ गए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखी है। इसमें किसान आंदोलन के दौरान 700 से ज्यादा शहीद किसानों के लिए एक-एक करोड़ रुपए मुआवजा मांगा है।
साथ ही, लखीमपुर खीरी में 5 किसानों को रौंदने की घटना को लोकतंत्र में काला धब्बा बताया है। केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की मांग की है।
उन्होंने यह भी लिखा है, कि तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा का मैं स्वागत करता हूं। लेकिन यह फैसला और पहले लिया जाना चाहिए था। अब एमएसपी पर कानून बनाया जाना चाहिए ताकि किसान आंदोलन समाप्त कर सम्मान के साथ घर लौट जाएं।
वरुण गांधी का पूरा पत्र : ‘पिछले एक साल से किसानों का एक विशाल आंदोलन देशभर में चल रहा है। आपने बड़ा दिल दिखाते हुए इन कानूनों को निरस्त करने की जो घोषणा की है, उसके लिए मैं आपको साधुवाद देता हूं। पिछले एक साल में अत्यंत कठिन परिस्थितियों में धरना देते हुए इस आंदोलन में सात सौ से ज्यादा किसान भाइयों की शहादत भी हो चुकी है। मेरा मानना है कि यह निर्णय यदि पहले ही ले लिया जाता तो इतनी बड़ी जनहानि नहीं होती।
आपसे विनम्र निवेदन है कि आंदोलन में शहीद हुए किसान भाइयों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए इनके परिजनों को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा भी दिया जाए।
इस आंदोलन के दौरान किसान भाइयों को प्रताड़ित करने के लिए जितनी भी फर्जी एफआईआर दर्ज की गई हैं, उन्हें भी तत्काल निरस्त किया जाना चाहिए।
किसानों की दूसरी मांग एमएसपी को कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाने से सम्बंधित है। हमारे देश में 85 प्रतिशत से ज्यादा छोटे, लघु और सीमांत किसान हैं।
हमें इन किसानों के सशक्तिकरण के लिए इनको फसलों का लाभकारी मूल्य दिलवाना सुनिश्चित करना होगा। यह आंदोलन इस मांग के निस्तारण के बिना समाप्त नहीं होगा और किसानों में एक व्यापक रोष बना रहेगा जो किसी न किसी रूप में सामने आता रहेगा।
अतः किसानों को फसलों की एमएसपी की वैधानिक गारंटी मिलना अत्यंत आवश्यक है। एमएसपी भी कृषि लागत मूल्य आयोग के C2 + 50 % फॉर्मूले के आधार पर होनी चाहिए।
इस विषय में मेरा विनम्र निवेदन है कि सरकार को राष्ट्रहित में इस मांग को भी तत्काल मान लेना चाहिए। इससे हमारे किसान भाइयों को एक बहुत बड़ा आर्थिक सुरक्षा चक्र मिल जाएगा और उनकी स्थिति में व्यापक सुधार होगा।
वरिष्ठ पदों पर बैठे कई नेताओं ने आंदोलनरत किसानों को लेकर बहुत ही व्यथित करने वाले बयान दिए हैं। इन बयानों और किसान आंदोलन के प्रति अब तक अपनाए गए उपेक्षापूर्ण रवैये का ही नतीजा है कि तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में पांच किसान भाइयों की गाड़ियों से कुचलकर निर्मम हत्या कर दी गई।
यह हृदयविदारक घटना हमारे लोकतंत्र पर एक काले धब्बे के समान है। मेरा आपसे निवेदन है कि इस घटना में निष्पक्ष जांच एवं न्याय हेतु इसमें लिप्त एक केंद्रीय मंत्री पर भी सख्त कार्यवाही होनी चाहिए। लोकतंत्र संविधान, संवाद और संवेदनशीलता से चलता है।
देश के किसान आपसे अपनी समस्याओं का संवेदनापूर्वक समयबद्ध निस्तारण की अपेक्षा करते हैं। मेरा विश्वास है कि किसानों की उपरोक्त अन्य मांगों को मान लेने, लखीमपुर खीरी की घटना में न्याय का मार्ग प्रशस्त करने से आपका सम्मान देश में और बढ़ जाएगा। मुझे आशा है कि इस विषय में भी आप शीघ्र ठोस निर्णय लेंगे।’
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