अमर सिंह का जीवन कई सबक देता हैं, हर मरने वाले की प्रशंसा की जाए जरुरी नहीं। ऐसे
लोगों से कितना रिश्ता रखा जाए ये भी सीख अमर सिंह दे गए
पंकज मुकाती (राजनीतिक विश्लेषक )
राजनीति की कुछ अमर कथाओं के चित्रकार नहीं रहे। अमर सिंह। वो नाम जिसे लोग याद रखते हैं। बाहरी तौर पर कद-काठी और बातचीत तीनों में वे जरा से भी प्रभावी नहीं थे। पर कुछ ऐसी तिकडमी (जिसे आजकल चाणक्य ) कला उनके भीतर थी कि हर क्षेत्र के बड़े नाम उनके पीछे जुड़ते गए।
अनिल अम्बानी, अमिताभ बच्चन, मुलायम सिंह यादव, संजय दत्त सरीखे मंझे हुए लोग अमर सिंह के साथ खड़े दिखे। एक ख़ास बात ये रही कि अमर सिंह ने हर उस आदमी से नाता जोड़ा जो कभी बड़ा नाम रहा। पर अमर सिंह उससे तब जुड़े जब वो गर्त की तरफ था। अमिताभ बच्चन, अनिल अम्बानी, मुलायम और संजयदत्त जब मुख्य धारा से किनारे कर दिए गए। तब इस चित्रकार ने बेरंग दुनिया में रंग भरने की कोशिश की। और सब उनके रंग में रंग गए।
आखिर रास्ता क्या था दूसरा। ये तो हुए अमरसिंह की महानता के किस्से। यकीनन एक रिवाज रहा है कि मृत आत्मा को श्रद्धांजलि दी जाती है। उसके बारे में सकारात्मक लिखा, बोला जाता है। पर यदि कोई आदमी लार्जर देन लाइफ हो तो, उसकी अच्छी बातों के साथ-साथ उसकी गलतियों से सबक भी लिया जाना चाहिए। ऐसे लोग अपने दीर्घ कर्मो के फल में बहुत कुछ सबक, सीख भी छोड़कर जाते हैं। कई बड़े लोगों का दोस्त अकेले में कितना लापरवाह और गन्दा हो सकता है, ये भी अमरसिंह के खाते में दर्ज है।
जब बहुत से बड़े लोगों के बातचीत के टेप उजागर हुए तो उसमे उनके भी वार्तालाप थे। वे बातें इतनी फूहड़ और अश्लील थी कि उनका प्रकाशन रुकवाने अदालत तक वे गए। इसमें उन तमाम लोगों के बार में गन्दी और फूहड़ बाते रही जिन्हे वे अपना करीबी और बड़ा भाई बताते रहे। ये सबक अमर सिंह से सीखना चाहिए कि मोबाइल पर या वैसे भी बातों में आदमी को इतना लापरवाह और अतिरेक से भरा नहीं हो जाना चाहिए कि उसे खुद ही याद न रहे, कब क्या बोल गए।
इस चित्रकार ने एक और सबक दिया। कैसे लोगों से दोस्ती की जाए? किसे परिवार में बैठाया जाए? कुछ पल, कुछ दिनों या किसी विशेष काम के लिए ऐसे पावर ब्रोकर आपके काम के हो सकते हैं। पर वे आपके दोस्त परिवार का हिस्सा नहीं हो सकते।
वे बड़बोले और उद्दंड होते हैं, ऐसे लोग अपनी पावर को बढ़ा चढ़कर पेश करने के चक्कर में कब आपको भी सड़क पर खड़ा कर देंगे पता नहीं। इन पर भरोसा मत करिये? अमिताभ बच्चन ने अपने बेटे की शादी के कार्ड में अमरसिंह के पूरे कुनबे का नाम छापा। बच्चन परिवार ने उन्हें बुरे दौर में मदद करने के लिए अपने परिवार का हिस्सा समझा। सम्मान दिया। पर अमरसिंह ने क्या किया ? बच्चन परिवार की महिलाओं, बहु के बारे में सार्वजनिक रूप से भद्दी बातें कहीं।
सोनिया गांधी के बारे में भद्दी बातें कहीं। मणिशंकर अय्यर से झूमा झटकी की। दुबई के अवार्ड समारोह में शाहरुख़ खान का कॉलर पकड़ लिया। आखिर सबसे भिड़ने की वजह। जो उनका दोस्त नहीं बना या उनकी बात नहीं मानी उसे बदनाम करने में भी वे पीछे नहीं रहे। मुलायम सिंह के वे करीबी रहे। पर अखिलेश और मुलायम में फूट डालने में वे सबसे आगे रहे। उन्होंने यादव कुनबे की लड़ाई में घी डालने का काम किया। बाद में उन्होंने बच्चन परिवार से माफ़ी भी मांगी। तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
उनके साथ पूरी ज़िंदगी खड़ी रही जयाप्रदा के बारे में उन्होंने टेलीफोन वार्तालाप में जो भद्दी बातें कहीं। उसके बाद क्या ये सबक नहीं मिलता कि व्यावसायिक रिश्तों को परिवार से जोड़ने के पहले बहुत सोचना चाहिए। निश्चित ही मौत अच्छी नहीं।उसके परिवार और करीबी लोग गहरे दुःख में होंगे। उनके प्रति सांत्वना भी होनी ही चाहिए। पर अमर सिंह ने बहुत कुछ सिखाया।
मुलायम सिंह के केंद्रीय मंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते अमर सिंह ने सत्ता को जो बेजा इस्तेमाल किया वो भी याद रखना चाहिए। निश्चित ही आज के दौर में वे लाखों ऐसे पॉवर ब्रोकर, सत्ता प्रेमियों के लिए एक आदर्श भी हो सकते हैं। वे कहेंगे कि सही ढंग से सितारों से खेलना, सत्ता का स्वाद उठाना सिर्फ और सिर्फ अमर सिंह जानते थे।
अमर सिंह भारतीय रजनीति के वे नायक हैं, जिसने अँधेरी गलियों में भी रोशनी के हाईवे निकाल लिए। उनकी लम्बी उम्र कई बड़े लोगों के लिए सबक के तौर पर काम आ सकती हैं। वे भविष्य में ऐसे अवसरों और ऐसे लोगों से कितने सम्बन्ध रखे जाए इसको समझ सकते हैं। इस करिश्माई व्यक्तित्व को अंतिम प्रणाम।
अंतिम सार- अमर बेल बिन मूल के, फूलत, फलत अघाय !
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